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गीता प्रेस, गोरखपुर >> आशा की नयी किरणें

आशा की नयी किरणें

रामचरण महेन्द्र

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :214
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1019
आईएसबीएन :81-293-0208-x

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प्रस्तुत है आशा की नयी किरणें...

आलस्यके दुष्परिणाम


आजकलके युवक या युवतीका शरीर देखिये-पिचका हुआ मुख, धँसे हुए कपोल, नेत्रोंके चारों ओर कालिमा, पतले-दुबले हाथ-पाँव, न शरीरमें शक्ति, न मनमें स्फूर्ति। क्या कारण है कि हाथ-पाँव दुबले हैं, क्या कारण है कि सिर, कमर और जोड़ोंमें दर्द रहता है या पेट फूलता चला आ रहा है? कारण है परिश्रमका अभाव। जिन अंगोंसे मेहनत नहीं ली गयी, वे निर्बल ही रहेंगे। शक्ति उन्हीं अंगोंमें आती है, जिनसे यथेष्ट श्रम किया जाता है। शरीरसे खूब कार्य लीजिये, देखिये कितनी तीव्रतासे वह दृढ़ होता है; बाहें मोटी होने लगती हैं, पिचके हुए कपोल पुनः गुलाबी आभासे परिपूर्ण हो जाते हैं, सिरदर्द जाता रहता है।

ग्रामीण मजदूरोंको देखिये, उनके पुट्ठों, आकार, स्वास्थ्यको देखिये और उनके रहस्य क्रियाशीलतापर गौर कीजिये। ग्रामीण स्त्रियाँ बड़े तड़केसे ही चक्की पीसना प्रारम्भ कर देती हैं, उसीके साथ मधुर संगीतकी तान छेड़ देती हैं। कसरत और संगीत-यौवन छलछला उठता है।

आज युवकोंके शरीरोंमें जंग लग गया है। उनकी आदतें आलसी हैं। वे चलना-फिरना या शारीरिक कार्य करना नहीं चाहते। थोड़ी-थोड़ी दूरके निमित्त साइकिल या मोटर बसका आश्रय देखते हैं; खेलने-कूदनेमें उनकी रुचि नहीं है। अपना काम अपने हाथसे करनेमें लज्जाका बोध होता है। पैदल चलनेमें शर्म आती है। पाँवोंसे काम लेना छोड़नेके कारण शरीरकी रही-सही स्फूर्ति भी विलीन हो गयी है।

मेरा वश चले तो साइकिल नामके इस आलसी बनानेवाले यन्त्रको तोड़-फोड़ दूँ। संसारसे इसका बहिष्कार करा दूँ। इन कृत्रिम पाँवोंने हमारे वास्तविक पाँवोंकी

शक्तिका शोषण कर दिया है। हमें आलसी बना दिया है। हमारे स्वास्थ्यका दिवाला निकालनेमें इस सवारीका प्रमुख हाथ है। साइकिल-सवारीका कुप्रभाव गुप्त अंगोंपर भी पड़ता है और घृणित रोगोंमें प्रकट होता है।

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    अनुक्रम

  1. अपने-आपको हीन समझना एक भयंकर भूल
  2. दुर्बलता एक पाप है
  3. आप और आपका संसार
  4. अपने वास्तविक स्वरूपको समझिये
  5. तुम अकेले हो, पर शक्तिहीन नहीं!
  6. कथनी और करनी?
  7. शक्तिका हास क्यों होता है?
  8. उन्नतिमें बाधक कौन?
  9. अभावोंकी अद्भुत प्रतिक्रिया
  10. इसका क्या कारण है?
  11. अभावोंको चुनौती दीजिये
  12. आपके अभाव और अधूरापन
  13. आपकी संचित शक्तियां
  14. शक्तियोंका दुरुपयोग मत कीजिये
  15. महानताके बीज
  16. पुरुषार्थ कीजिये !
  17. आलस्य न करना ही अमृत पद है
  18. विषम परिस्थितियोंमें भी आगे बढ़िये
  19. प्रतिकूलतासे घबराइये नहीं !
  20. दूसरों का सहारा एक मृगतृष्णा
  21. क्या आत्मबलकी वृद्धि सम्मव है?
  22. मनकी दुर्बलता-कारण और निवारण
  23. गुप्त शक्तियोंको विकसित करनेके साधन
  24. हमें क्या इष्ट है ?
  25. बुद्धिका यथार्थ स्वरूप
  26. चित्तकी शाखा-प्रशाखाएँ
  27. पतञ्जलिके अनुसार चित्तवृत्तियाँ
  28. स्वाध्यायमें सहायक हमारी ग्राहक-शक्ति
  29. आपकी अद्भुत स्मरणशक्ति
  30. लक्ष्मीजी आती हैं
  31. लक्ष्मीजी कहां रहती हैं
  32. इन्द्रकृतं श्रीमहालक्ष्मष्टकं स्तोत्रम्
  33. लक्ष्मीजी कहां नहीं रहतीं
  34. लक्ष्मी के दुरुपयोग में दोष
  35. समृद्धि के पथपर
  36. आर्थिक सफलता के मानसिक संकेत
  37. 'किंतु' और 'परंतु'
  38. हिचकिचाहट
  39. निर्णय-शक्तिकी वृद्धिके उपाय
  40. आपके वशकी बात
  41. जीवन-पराग
  42. मध्य मार्ग ही श्रेष्ठतम
  43. सौन्दर्यकी शक्ति प्राप्त करें
  44. जीवनमें सौन्दर्यको प्रविष्ट कीजिये
  45. सफाई, सुव्यवस्था और सौन्दर्य
  46. आत्मग्लानि और उसे दूर करनेके उपाय
  47. जीवनकी कला
  48. जीवनमें रस लें
  49. बन्धनोंसे मुक्त समझें
  50. आवश्यक-अनावश्यकका भेद करना सीखें
  51. समृद्धि अथवा निर्धनताका मूल केन्द्र-हमारी आदतें!
  52. स्वभाव कैसे बदले?
  53. शक्तियोंको खोलनेका मार्ग
  54. बहम, शंका, संदेह
  55. संशय करनेवालेको सुख प्राप्त नहीं हो सकता
  56. मानव-जीवन कर्मक्षेत्र ही है
  57. सक्रिय जीवन व्यतीत कीजिये
  58. अक्षय यौवनका आनन्द लीजिये
  59. चलते रहो !
  60. व्यस्त रहा कीजिये
  61. छोटी-छोटी बातोंके लिये चिन्तित न रहें
  62. कल्पित भय व्यर्थ हैं
  63. अनिवारणीयसे संतुष्ट रहनेका प्रयत्न कीजिये
  64. मानसिक संतुलन धारण कीजिये
  65. दुर्भावना तथा सद्धावना
  66. मानसिक द्वन्द्वोंसे मुक्त रहिये
  67. प्रतिस्पर्धाकी भावनासे हानि
  68. जीवन की भूलें
  69. अपने-आपका स्वामी बनकर रहिये !
  70. ईश्वरीय शक्तिकी जड़ आपके अंदर है
  71. शक्तियोंका निरन्तर उपयोग कीजिये
  72. ग्रहण-शक्ति बढ़ाते चलिये
  73. शक्ति, सामर्थ्य और सफलता
  74. अमूल्य वचन

विनामूल्य पूर्वावलोकन

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