नई पुस्तकें >> कोकिला का मस्त मटका कोकिला का मस्त मटकागीता धर्मराजन
|
0 |
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
जैसे बूँद-बूँद से गहरे सागर, रेत के कणों से फैले हुए रेगिस्तान बनते हैं, वैसे ही नन्हें बच्चों की सूझ-बूझ से बनती हैं मनोरंजक कहानियाँ। चलो ले चलते हैं तुम्हें अबु, नूतन, कोकिला, जिश्नू ... सो मिलाने। क्या हैं इनमें कोई तुम्हारे जैसा... ?
हँसता-डोलता मस्त ये मटका, सफाई का पाठ पढ़ाता मटका...
हँसता-डोलता मस्त ये मटका, सफाई का पाठ पढ़ाता मटका...
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book