नई पुस्तकें >> मिट्जी मिट्जीकावेरी डी
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
जैसे बूँद-बूँद से गहरे सागर, रेत के कणों से फैले हुए रेगिस्तान बनते हैं, वैसे ही नन्हें बच्चों की सूझ-बूझ से बनती हैं मनोरंजक कहानियाँ। चलो ले चलते हैं तुम्हें अबु, नूतन, कोकिला, जिश्नू ... सो मिलाने। क्या हैं इनमें कोई तुम्हारे जैसा... ?
उछलती-कूदती, भोली-सी है मिट्ज़ी ! पर जानती है निभाना दोस्ती ...
उछलती-कूदती, भोली-सी है मिट्ज़ी ! पर जानती है निभाना दोस्ती ...
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