नई पुस्तकें >> दुमदार नाक दुमदार नाकआर.के. मूर्ति
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
पारो को छोड़कर मां सुअर के सारे बच्चे चतुर थे। लेकिन पारो थोड़ी-सी बुद्धू थी। कोई भी बात उसे देर से समझ में आती थी और इसीलिए हर तरह की मुसीबत में वह बड़ी जल्दी फंस जाती थी।
एक बार उसने रास्ते से एक साही को धक्का देकर हटाया और उसके सारे शरीर में कांटे चुभ गए।
एक बार उसने रास्ते से एक साही को धक्का देकर हटाया और उसके सारे शरीर में कांटे चुभ गए।
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