नई पुस्तकें >> समांतर सिनेमा समांतर सिनेमाहूबनाथ
|
0 |
पात्र के मन में गहरे उतर कर वहां से उनके चरित्र की सारी अच्छाइयों को बेजोड़ तरीके से अपनी कहानियों में पिरोते हैं
यह पुस्तक उन फिल्मकारों और फिल्मों पर बात करती है जिसे बनाने के लिए फिल्मकारों ने कई बार अपनी पूरी पूंजी और अपना जीवन तक दाँव पर लगा दिया। इन फिल्मकारों ने अपनी कला के साथ कोई समझौता नहीं किया और जिस बात को वे जिस ढंग से रखना चाहते थे उसी तरह दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया। यह पुस्तक अपनी तरह की सम्भवतः पहली कोशिश है जबकि अंग्रेजी में इस विषय पर कई अच्छी पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं। सिनेमा कला की बुनियाद को जानने-समझने के लिए, समांतर सिनेमा से भलीभांति परिचय प्राप्त करने और इससे जुड़ी कई दुर्लभ सामग्री की सहज उपलब्धता की दृष्टि से पुस्तक पठनीय है।
|