चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट >> फिर उड़ चली तितली फिर उड़ चली तितलीराजी रामन
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
रविवार का दिन था। स्कूल की छुट्टी होने के कारण विवेक खेलने में मस्त था। घर में खेलते-खेलते जब वह ऊब गया तो उसने सोचा क्यों न बाहर जाकर खेला जाए।
‘‘मम्मी !’’ विवेक ने आबाज़ लगाई, ‘‘मैं बगीचे में खेलने जा रहा हूँ !’’
‘‘ठीक है,’’ उसकी मां ने कहा, ‘‘पर अपनी टोपी पहन लेना, धूप वहुत तेज़ है आज।’’
विवेक ने अपनी टोपी पहनी और खेलने चला गया।
‘‘मम्मी !’’ विवेक ने आबाज़ लगाई, ‘‘मैं बगीचे में खेलने जा रहा हूँ !’’
‘‘ठीक है,’’ उसकी मां ने कहा, ‘‘पर अपनी टोपी पहन लेना, धूप वहुत तेज़ है आज।’’
विवेक ने अपनी टोपी पहनी और खेलने चला गया।
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