लेखक:
योगिता यादव
जून, 1981 को दिल्ली में जन्मी योगिता यादव की रचनाओं में स्त्री मनोविज्ञान का बेहद सूक्ष्म विश्लेषण मिलता है। अपनी पहली कृति 'क्लीन चिट' (कहानी संग्रह, वर्ष 2014 में भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित) से ही उन्होंने हिंदी साहित्य में एक मजबूत दस्तक दी। उन्हें न लिखने की हड़बड़ी है न छपने की दौड़ 2017 में आए पहले उपन्यास 'ख्वाहिशों के खांडववन' से एक बार फिर यह बात पुख्ता हुई। 'क्लीन चिट' पर भारतीय ज्ञानपीठ का नवलेखन पुरस्कार, कहानी 'झीनी झीनी बीनी रे चदरिया' पर कलमकार पुरस्कार और कहानी 'राजधानी के भीतर-बाहर' पर वर्ष 2016 का राजेंद्र यादव हंस कथा सम्मान प्रदान किया गया। वर्ष 2018 में उन्हें डॉ. शिवकुमार मिश्र स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। साहित्यिक लेखन के साथ-साथ सामाजिक और स्त्री केंद्रित मुद्दों पर भी वे लगातार काम करती हैं। वर्ष 2017 में आस्था की अर्थव्यवस्था' शीर्षक से उनका जम्मू-कश्मीर की सामाजिक-आर्थिक संस्कृति पर आधारित लेखों का संग्रह प्रकाशित हो चुका है। इस विषय पर उन्हें भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय से जूनियर फैलोशिप मिल चुकी है। रमणिका फाउंडेशन की ओर से प्रकाशित महत्वपूर्ण श्रृंखला' हाशिए उलाँघती औरत' के जम्मू-कश्मीर विशेषांक का सह-संपादन और महाराष्ट्र से प्रकाशित पत्रिका 'सार्थक नव्या' के जम्मू-कश्मीर विशेषांक का संपादन भी योगिता यादव ने किया। |
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गलत पते की चिट्ठियाँयोगिता यादव
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