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लेखक:

विमल मित्र
जन्म : 18 दिसंबर 1912

देहावसान: 1991

विमल मित्र ख्यात बांग्ला लेखक व उपन्यासकार थे।

विमल ने सन्‌ 1938 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से बांग्ला साहित्य में एम.ए. की उपाधि ली और रेलवे में विभिन्न पदों पर नौकरी की। जून 1956 में डिप्टी चीफ कंट्रोलर के पद से इस्तीफा दे दिया और स्वतंत्र लेखन करने लगे। उन्होंने भारतीय साहित्य को लगभग साढ़े तीन दशकों तक लिखते हुए 60 से अधिक उपन्यास और कहानी संग्रह दिए हैं। उनकी सर्वाधिक चर्चित कृतियों में साहिब बीवी और गुलाम शामिल है, जिस पर एक लोकप्रिय फिल्म का भी निर्माण हुआ। मुजरिम हाजिर नाम उनकी एक अन्य कृति पर एक लोकप्रिय टीवी धारावाहिक का भी निर्माण हुआ।

रचनाएं

'साहब बीवी और गुलाम', 'खरीदी कौड़ियों के मोल' (दो-खंड), 'इकाई, दहाई, सैकड़ा', 'बेगम मेरी विश्वास' (दो खंड), 'दायरे के बाहर', 'मैं', 'राजा बादल', 'चरित्र', 'गवाह नंबर 3', 'वे दोनों', 'काजल', 'कन्यापक्ष', 'रोकड़ जो नहीं मिली,' 'चलो कलकत्ता,' 'हासिल रहा तीन', 'तपस्या', 'राग भैरवी', 'सुबह का भूला', नायिका, कलकत्ता 85, विषय नरनारी, चार आँखों का खेल, वे आँखे, पति पत्नी संवाद आदि हैं।

भंवर के बीच

विमल मित्र

मूल्य: $ 9.95

एक श्रेष्ठ उपन्यास   आगे...

मुजरिम हाज़िर

विमल मित्र

मूल्य: $ 31.95

बंगला के लोकप्रिय उपन्यासकार विमल मित्र का बंगला में प्रकाशित उपन्यास ‘आसामी हाज़िर’ का हिन्दी अनुवाद...   आगे...

मैं

विमल मित्र

मूल्य: $ 15.95

विमल मित्र का यह प्रयोगधर्मी उपन्यास, मैं हमारे समय के राजनीतिक एवं सामाजिक यथार्थ को परत-दर-परत सामने लाता है   आगे...

यह भी प्रेम

विमल मित्र

मूल्य: $ 9.95

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राजा होने की मुसीबत

विमल मित्र

मूल्य: $ 11.95

प्रस्तुत है रोचक उपन्यास.....   आगे...

रोकड़ जो मिली नहीं

विमल मित्र

मूल्य: $ 16.95

बंगला के बृहत्तम और अन्यतम श्रेष्ठ उपन्यास का हिन्दी रूपान्तरण ...   आगे...

विमल मित्र की चुनिंदा कहानियाँ

विमल मित्र

मूल्य: $ 20.95

जीवन की, जिन्दगी की, इंसानियत की, अनेकों विविधायामी आयामों की सतरंगी आभा को उकेरती ये कहानियां   आगे...

विषय नर नारी

विमल मित्र

मूल्य: $ 20.95

प्रस्तुत है तीन प्रेम-प्रसंगों का रोचक वर्णन...

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वे आँखें

विमल मित्र

मूल्य: $ 2.95

वे आंखें पुस्तक का कागजी संस्करण...   आगे...

शुभ संयोग

विमल मित्र

मूल्य: $ 9.95

शायद इसी को संयोग कहते हैं। यह संयोग कभी शुभ होता है तो कभी अशुभ   आगे...

 

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