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लेखक:

श्रीलाल शुक्ल

जन्म - 31 दिसम्बर, 1925

निधन - 28 अक्टूबर 2011

जीवन परिचय : : श्रीलाल शुक्ल का जन्म 31 दिसम्बर, 1925 को लखनऊ जनपद के अजरौली गाँव में हुआ। प्रयाग विश्वविद्यालय से बी.ए. की डिग्री प्राप्त कर वे सरकारी नौकरी में प्रविष्ट हुए और विभिन्न महत्त्वपूर्ण पदों पर रहते हुए सन् 1983 से सेवा-निवृत्त हुए।

साहित्यक : 1958 में अपनी हास्य-व्यंग्य कहानियों और निबंध-संग्रह ‘अंगद का पाँव’ के प्रकाशन से ही हिंदी के प्रमुख व्यंग्यकार के रूप में स्थापित। 1957 में प्रकाशित पहला उपन्यास है ‘सूनी घाटी का सूरज’। तत्पश्चात 1970 में उनके लोकप्रिय उपन्यास ‘राग दरबारी’ को साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ। ‘पहला पड़ाव’ शुक्लजी का एक और महत्त्वपूर्ण उपन्यास है।

कृतियाँ :

उपन्यास : सुनी घाटी का सूरज, अज्ञातवास, राग दरबारी, आदमी का जहर, सीमाएँ टूटती हैं, मकान, पहला पड़ाव, बिस्रामपुर का संत, उमरावनगर में कुछ दिन।

कहानी-संग्रह : यह घर मेरा नहीं, सुरक्षा तथा अन्य कहानियाँ, इस उम्र में : (इस उम्र में, चन्द अख़बारी घटनाएँ, पतंग के लुटेरे, सुखान्त, ज़िन्दगी, चारों ओर अँधेरा घना जंगल था, इतिहास का अन्त, शिष्टाचार, टी.एम.सिंह की कथा, निर्धन पड़ोसी की कथा, महाजनी सभ्यता और दाढ़ी-मूछ की कथा।), दस प्रतिनिधि कहानियाँ : (इस उम्र में, सुखांत, सँपोला, दि ग्रैंड मोटर ड्राइविंग स्कूल, शिष्टाचार, दंगा, सुरक्षा, छुट्टियाँ, यह घर मेरा नहीं, अपनी पहचान।)

व्यंग्य संग्रह : अंगद का पाँव, यहाँ से वहाँ, मेरी श्रेष्ठ रचनाएँ, उमराव नगर में कुछ दिन, कुछ जमीन पर कुछ हवा में, आओ बैठ लें कुछ देर, अगली शताब्दी का शहर, जहालत के पचास साल, खबरों की जुगाली।

आलोचना : अज्ञेय : कुछ राग और कुछ रंग।

विनिबंध : भगवतीचरण वर्मा, अमृतलाल नागर।

बाल-साहित्य : बब्बरसिंह और उसके साथी। अनुवाद : पहला पड़ाव, मकान, राग दरबारी। सम्मान : साहित्य अकादेमी पुरस्कार, साहित्य भूषण सम्मान, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का गोयल साहित्य पुरस्कार, लोहिया अतिविशिष्ट सम्मान, म.प्र. शासन का शरद जोशी सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, व्यास सम्मान।

कुछ साहित्य चर्चा भी

श्रीलाल शुक्ल

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खबरों की जुगाली

श्रीलाल शुक्ल

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खबरों की जुगाली आज के समय में प्रकाशित विभिन्न प्रकार के अखबारों के विषय में वर्णन किया है...

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जहालत के पचास साल

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पहला पड़ाव

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इस उपन्यास में बीसवीं शताब्दी के अन्तिम दशकों में ईट-पत्थर होते जा रहे आदमी की त्रासदी की कथा वर्णन किया है...

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बिस्रामपुर का सन्त

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‘बिस्रामपुर का सन्त’ समकालीन जीवन की ऐसी महागाथा है जिसका फलक बड़ा विस्तीर्ण है और जो एक साथ कई स्तरों पर चलती है।

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मकान

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संघर्ष, शोषण और अव्यवस्था के दौर से गुजरते हुए तीक्ष्ण प्रतिक्रियाएँ.....

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यहाँ से वहाँ

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राग दरबारी

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राग दरबारी (सजिल्द)

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राग दरबारी एक ऐसा उपन्यास है जो गाँव की कथा के माध्यम से आधुनिक भारतीय जीवन की मूल्यहीनता को सहजता और निर्ममता से अनावृत करता है।....

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राग विराग

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सुप्रसिद्ध कथाकार श्रीलाल शुक्ल की रचनाशीलता का नव्यतम और विशिष्ट पड़ाव है - राग-विराग

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