लेखक:
रविभूषण
बिहार प्रान्त के मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले के गाँव चैनपुर-धरहरवा के एक सामान्य परिवार में दिसम्बर 1946 में जन्म। जन्मतिथि सम्भवत: 17 दिसम्बर। प्रारम्भिक शिक्षा गाँव के समीप के एक विद्यालय में। कॉलेज की आरम्भिक शिक्षा समस्तीपुर कॉलेज में। बिहार विश्वविद्यालय से हिन्दी ऑनर्स (1965) और हिन्दी भाषा साहित्य में एम.ए. (1967-68)। ऑनर्स एवं एम.ए. में ‘स्वर्ण पदक’ प्राप्त। भागलपुर विश्वविद्यालय से डॉ.बच्चन सिंह के निर्देशन में ‘छायावाद में रंग-तत्त्व’ पर पीएच.डी. (1985)। नवम्बर 1968 से अध्यापन-कार्य। जुलाई 1971 से बिहार लोक सेवा आयोग की संस्तुति पर भागलपुर विश्वविद्यालय में नियुक्त। टी.एन.बी. कॉलेज, भागलपुर में पद स्थापित। भागलपुर विश्वविद्यालय में ही रीडर, प्रोफ़ेसर बने। अक्टूबर 1991 से अक्टूबर 2008 तक राँची विश्वविद्यालय के दो कॉलेजों और हिन्दी विभाग में पदस्थापित। अक्टूबर 2008 में राँची विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त। आलोचनात्मक लेखन की शुरुआत 1971-72 के दो निबन्धों—‘कामायनी’ में ‘नील वर्ण का प्रयोग’ और ‘नवगीत : कितनी हार, कितनी जीत’ से। 1979 से सांस्कृतिक मोर्चे पर अधिक सक्रिय। पहले ‘नवजनवादी सांस्कृतिक मोर्चा’ और बाद में ‘जन संस्कृति मंच’ से सम्बद्ध। फ़िलहाल ‘जसम’ के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष। दैनिक समाचार-पत्र ‘प्रभात ख़बर’ में पिछले कई वर्षों से विविध विषयों पर निरन्तर लेखन। लगभग 20 वर्ष से इस पत्र के स्तम्भ लेखक और वार्षिक दीपावली अंक के अतिथि सम्पादक। ई-मेल : ravibhushan1408@gmail.com |
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