लेखक:
कुँवर नारायण
जन्म : 1927 आज के साहित्यिक परिदृश्य को दूर तक प्रभावित करनेवाले हिन्दी के शिखर कवि। आधी सदी से अधिक समय से लेखन में सक्रिय हैं। कविता के साथ ही लगातार विभिन्न साहित्यिक, वैचारिक और सांस्कृतिक विषयों पर भी महत्त्वपूर्ण लेखन कर रहे हैं। कई पत्रिकाओं के सम्पादन और विभिन्न सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े रहे हैं। उनकी अनेक कृतियों के भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित हो रहे हैं। प्रकाशित पुस्तकें - काव्य संग्रह : चक्रव्यूह, परिवेश : हम-तुम, तीसरा सप्तक, अपने सामने, कोई दूसरा नहीं, इन दिनों, हाशिए का गवाह; खंडकाव्य : आत्मजयी और वाजश्रवा के बहाने; कहानी संग्रह : आकारों के आसपास; समीक्षा : आज और आज से पहले, मेरे साक्षात्कार, साहित्य के अन्तर्विषयक सन्दर्भ; साक्षात्कार : तट पर हूँ पर तटस्थ नहीं; संचयन : कुँवर नारायण : संसार, कुँवर नारायण : उपस्थिति, चुनी हुई कविताएँ, प्रतिनिधि कविताएँ, नो अदर वर्ल्ड : अंग्रेज़ी अनुवाद और संचयन : अपूर्व नारायण। अनेक पुरस्कारों से सम्मानित जिनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार, प्रेमचन्द पुरस्कार, शलाका सम्मान, राष्ट्रीय कबीर सम्मान, रोम का अन्तर्राष्ट्रीय ‘प्रीमिओ प्रेरोनिआ’ पुरस्कार और भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ‘ज्ञानपीठ’ पुरस्कार हैं। राष्ट्रीय सम्मान ‘पद्मभूषण’ से अलंकृत। साहित्य अकादमी की महत्तर सदस्यता (2010)। आरम्भिक जीवन फ़ैज़ाबाद और अयोध्या में बीता, उसके बाद अधिक समय लखनऊ में रहे। आजकल दिल्ली में पत्नी भारती और पुत्र अपूर्व के साथ रहते हैं। सम्पर्क : एच-1544, चितरंजन पार्क, नई दिल्ली-19 |
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सब इतना असमाप्तकुँवर नारायण
मूल्य: $ 14.95 |