लेखक:
चन्द्रकान्ता
जन्म :3 सितम्बर, 1938 में (प्रोफेसर रामचन्द्र पंडित की पुत्री; पति डॉ. एम.एल. बिशिन) श्रीनगर (कश्मीर) शिक्षा : एम.ए., बी.एड.; बी.ए. (गर्ल्स कॉलेज) एवं हिन्दी प्रभाकर (ओरियंटल कॉलेज); बी.एड. (गांधी मेमोरियल कॉलेज), श्रीनगर, कश्मीर; बी.एड. में जम्मू-कश्मीर यूनिवर्सिटी में प्रथम स्थान और एम.ए. (हिन्दी), बिड़ला आर्ट्स कॉलेज, पिलानी, राजस्थान यूनिवर्सिटी; एम.ए. (हिन्दी), बिड़ला आर्ट्स कॉलेज में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। प्रकाशित रचनाएँ : कहानी-संग्रह - सलाख़ों के पीछे : 1975; ग़लत लोगों के बीच : 1984; पोशनूल की वापसी : 1988; दहलीज़ पर न्याय : 1989; ओ सोनकिसरी ! : 1991; कोठे पर कागा : 1993; सूरज उगने तक : 1994; काली बर्फ : 1996; प्रेम कहानियाँ : 1996; चर्चित कहानियाँ : 1997; कथा नगर : 2001; बदलते हालात में : 2002; आंचलिक कहानियाँ : 2004; अब्बू ने कहा था : 2005; तैंती बाई : 2006; कथा संग्रह (‘वितस्ता दा जहर’ शीर्षक से पंजाबी भाषा में अनूदित; अनुवादक : श्री हर्षकुमार हर्ष) : 2007; रात में सागर 2008। उपन्यास - बाक़ी सब ख़ैरियत है (उड़िया भाषा में अनूदित; अनुवादक : प्रवासिनी तिवारी) : 1983; ऐलान गली ज़िन्दा है (अंग्रेजी भाषा में अनूदित; अनुवादक : मनीषा चौधरी) : 1984; अपने-अपने कोणार्क : 1995; कथा सतीसर : 2001; अन्तिम साक्ष्य और अर्थान्तर (उड़िया भाषा में अनूदित; अनुवादक : श्रीनिवास उद्गाता) : 2006; यहाँ वितस्ता बहती है : 2008। अन्य कृतियाँ - यहीं कहीं आसपास: 1999 (कविता संग्रह); मेरे भोजपत्र : 2008 (संस्मरण एवं आलेख)। सम्मान: जम्मू-कश्मीर कल्याण अकादमी; हरियाणा साहित्य अकादमी; मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार; हिन्दी अकादमी, दिल्ली; व्यास सम्मान (के.के. बिड़ला फाउंडेशन दिल्ली), चन्द्रावती शुक्ल सम्मान; कल्पना चावला सम्मान; ऋचा लेखिका रत्न; वाग्मणि सम्मान; राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान; ऑल इंडिया कश्मीरी समाज द्वारा कम्यूनिटी आइकॉन एवार्ड, आदि। |
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हाशिए की इबारतेंचन्द्रकान्ता
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