लेखक:
अलका सरावगी
अलका सरावगी का जन्म 1960 ई. के नवम्बर माह, कोलकाता में हुआ। आपके पहले ही उपन्यास कलि-कथा : वाया बाइपास को वर्ष 1998 के साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। शिक्षा : कोलकाता विश्वविद्यालय से रघुवीर सहाय पर शोध-कार्य। कृतियाँ – कहानी-संग्रह : कहानी की तलाश में (1996), दूसरी कहानी (2000)। उपन्यास : कलि-कथा : वाया बाइपास (1998; साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित); शेष कादम्बरी (2001; के.के. बिरला फाउंडेशन के बिहारी पुरस्कार से सम्मानित); कोई बात नहीं (2004)। जर्मन, फ्रेंच, इटालियन, स्पेनिश, अंग्रेजी तथा अनेक भारतीय भाषाओं में कृतियाँ अनूदित। सम्पर्क: 2/10, शरत बोस रोड, गार्डन अपार्टमेंट्स, गुलमोहर, कोलकाता-700 020 ई-मेल : alkasaraogi@gmail.com |
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शेष कादम्बरीअलका सरावगी
मूल्य: $ 15.95
एक भिन्न स्तर पर रूबी गुप्ता के अपने जीवन की कादम्बरी ढूँढने की प्रचेष्ठा होने के कारण शेष कादम्बरी एक ऐसी औपन्यासिक कृति है जिसमें जीवन और उपन्यास आपस में गड्ड-मड्ड हो जाते हैं। कादम्बरी शायद अपने खिलन्दड़ अन्दाज में नानी की कहानी के बारे में कह सकती है कि वह जीवन ही क्या, जिसमें उपन्यास न हो और वह उपन्यास क्या, जिसमें जीवन न हो। आगे... |