विविध >> शरीर लक्षण विज्ञान शरीर लक्षण विज्ञानउमेश पाण्डे
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प्रस्तुत है पुस्तक शरीर लक्षण विज्ञान इसके अंतर्गत आप किसी के बारे में जान सकते हैं कि अमुक व्यक्ति कैसा है.........
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
दो शब्द
आज से कुछ वर्ष पूर्व एक बुजुर्ग व्यक्ति के परिवार के साथ मैं उनके बच्चे के लिए लड़की देखने गया था। लड़की वालों के यहाँ हम लोग बैठे। समय पर लड़की हमारे समक्ष लाई गई। जब लड़की वहाँ आई तब उस वृद्ध ने उस लड़की के पैरों को बड़े गौर से देखा। मैं उनके उस ‘निरीक्षण’ को ध्यान से देख रहा था। जब हम लोग वहाँ से वापस हुए तब मैंने उनसे उनके उस ‘निरीक्षण’ के संबंध में जानना चाहा। मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि मैं लड़की के पैरों से उसके गुणों का अनुमान लगा रहा था। उन्होंने उसी तारतम्य में मुझे ‘सुलक्षणा’ स्त्री के पैरों के कुछ बहुत ही सटीक लक्षणों को बताया। उन लक्षणों को मैंने अपनी इस छोटी-सी पुस्तक में लिखा है।
इस घटना के बाद से सामुद्रिक लक्षणों को गहराई से समझने जानने के प्रति मेरी रुचि जाग्रत हुई। न केवल मैंने उन लक्षणों को जाना, बल्कि मेरे पास, आने वाले उन सैकड़ों पृच्छकों के चरित्र एवं व्यवहारादि के आधार पर उनका सत्यापन भी किया। परिणाम इस छोटी-सी पुस्तक के रूप में आपके समक्ष है। मेरा प्रयत्न रहा कि इस गूढ़ विषय को अधिक विस्तार के भँवर में न फँसाते हुए सरल और सीमित तरीके से ही आपके समक्ष रखूँ और विषयवस्तु को आमजन की समझ की सीमा में ही रखूँ। मैं अपने प्रयास में कितना सफल हुआ हूँ यह तो आपको इस पुस्तक को पढ़कर ही ज्ञात होगा। मेरा आपसे निवेदन है कि इस पुस्तक को पढें, समझें, इसके तथ्यों की सत्यता की जाँच भी करें किन्तु किसी व्यक्ति में यदि कोई ऋणात्मक लक्षण देखें तो कृपया उसे अपनी जुबान पर लाने के पूर्व बहुत मंथन करें। ज्यादा अच्छा होगा कि ऐसे लक्षणों को अपने मन में ही रहने दें क्योंकि किसी भी व्यक्ति का चरित्र या गुण अनेक सामुद्रिक लक्षणों के अधीन रहता है।
अंत में, मैं मेरे उन सभी शुभचिन्तकों का हृदय से आभारी हूँ जिन्होंने इस पुस्तक को आपके समक्ष लाने में मेरा मनोबल बढ़ाया। विशेष रूप से श्री राजीव अग्रवाल जी (भगवती पॉकेट बुक्स), डॉ. बसंत कुमार जोशी जी, डॉ. हौसिला प्रसाद पाण्डे, श्री नागेश्वर बाबा, धरगाँव, श्री रवि पाटीदार और श्री दीपक मिश्रा का मैं आभार व्यक्त करता हूँ, जिनका सहयोग इस पुस्तक के निर्माण में हमेशा मुझे मिलता रहा।
पुस्तक में वर्णित तथ्यों को जिन ग्रंथों से प्राप्त किया उन सभी ग्रंथों एवं विभूतियों का भी अभार।
धन्यवाद,
इस घटना के बाद से सामुद्रिक लक्षणों को गहराई से समझने जानने के प्रति मेरी रुचि जाग्रत हुई। न केवल मैंने उन लक्षणों को जाना, बल्कि मेरे पास, आने वाले उन सैकड़ों पृच्छकों के चरित्र एवं व्यवहारादि के आधार पर उनका सत्यापन भी किया। परिणाम इस छोटी-सी पुस्तक के रूप में आपके समक्ष है। मेरा प्रयत्न रहा कि इस गूढ़ विषय को अधिक विस्तार के भँवर में न फँसाते हुए सरल और सीमित तरीके से ही आपके समक्ष रखूँ और विषयवस्तु को आमजन की समझ की सीमा में ही रखूँ। मैं अपने प्रयास में कितना सफल हुआ हूँ यह तो आपको इस पुस्तक को पढ़कर ही ज्ञात होगा। मेरा आपसे निवेदन है कि इस पुस्तक को पढें, समझें, इसके तथ्यों की सत्यता की जाँच भी करें किन्तु किसी व्यक्ति में यदि कोई ऋणात्मक लक्षण देखें तो कृपया उसे अपनी जुबान पर लाने के पूर्व बहुत मंथन करें। ज्यादा अच्छा होगा कि ऐसे लक्षणों को अपने मन में ही रहने दें क्योंकि किसी भी व्यक्ति का चरित्र या गुण अनेक सामुद्रिक लक्षणों के अधीन रहता है।
अंत में, मैं मेरे उन सभी शुभचिन्तकों का हृदय से आभारी हूँ जिन्होंने इस पुस्तक को आपके समक्ष लाने में मेरा मनोबल बढ़ाया। विशेष रूप से श्री राजीव अग्रवाल जी (भगवती पॉकेट बुक्स), डॉ. बसंत कुमार जोशी जी, डॉ. हौसिला प्रसाद पाण्डे, श्री नागेश्वर बाबा, धरगाँव, श्री रवि पाटीदार और श्री दीपक मिश्रा का मैं आभार व्यक्त करता हूँ, जिनका सहयोग इस पुस्तक के निर्माण में हमेशा मुझे मिलता रहा।
पुस्तक में वर्णित तथ्यों को जिन ग्रंथों से प्राप्त किया उन सभी ग्रंथों एवं विभूतियों का भी अभार।
धन्यवाद,
उमेश पाण्डे
सिर-लक्षण
• जिस व्यक्ति का सिर बड़ा होता है वह श्रेष्ठ होता है, किन्तु सिर के साथ-साथ उसका मुख और छाती भी बड़े होने चाहिये। ऐसी स्त्री कई संतानें जनने वाली होती है।
• लम्बे सिर वाली स्त्री अपने देवरों की परमशत्रु होती है।
• मण्डलाकार सिर वाला व्यक्ति गायों से युक्त होता है। ऐसी स्त्रियाँ भी पशुप्रेमी होती हैं।
• छत्र के समान सिर राजा का होता है। ऐसे सिर वाली महिलाएँ सुखी एवं ऐश्वर्यवान होती हैं। चपटे सिर वाला व्यक्ति माता-पिता को कष्ट देनेवाला होता है। स्त्री-पुरुष दोनों के लिये ये लक्षण हैं।
• जिस व्यक्ति का सिर अस्थि सम दिखाई देता है वह दीर्घायु होता है।
• घड़े के समान सिर वाला व्यक्ति कुमार्गी होता है। ऐसी स्त्रियाँ परमपुरुषगामी हो जाती है।
• जिस व्यक्ति का सिर बहुत ज्यादा बड़ा होता है वह पापी एवं निर्धन होता है। यदि किसी प्रकार से उसके पास धन आ भी जावे तो निश्चय ही, उस धन का व्यय अनैतिक कार्यों में ज्यादा होता है।
• झुके सिर वाला व्यक्ति महापुरुष, विनम्र, मृदुभाषी एवं विद्वान होता है।
• अत्यन्त ही नीचे सिर वाला व्यक्ति अल्पायु एवं अनर्थ करने वाला होता है। ऐसे सिर वाली स्त्रियाँ भी अच्छी नहीं होतीं।
• टेढ़े सिर वाले दरिद्री होते हैं।
• बहुत लम्बे सिर वाले की आयु लम्बी होती है।
• त्रिकोणाकार सिर वाले व्यक्ति ज्यादा महत्त्वाकांक्षी एवं कलाकार होते हैं।
• लम्बे सिर वाली स्त्री अपने देवरों की परमशत्रु होती है।
• मण्डलाकार सिर वाला व्यक्ति गायों से युक्त होता है। ऐसी स्त्रियाँ भी पशुप्रेमी होती हैं।
• छत्र के समान सिर राजा का होता है। ऐसे सिर वाली महिलाएँ सुखी एवं ऐश्वर्यवान होती हैं। चपटे सिर वाला व्यक्ति माता-पिता को कष्ट देनेवाला होता है। स्त्री-पुरुष दोनों के लिये ये लक्षण हैं।
• जिस व्यक्ति का सिर अस्थि सम दिखाई देता है वह दीर्घायु होता है।
• घड़े के समान सिर वाला व्यक्ति कुमार्गी होता है। ऐसी स्त्रियाँ परमपुरुषगामी हो जाती है।
• जिस व्यक्ति का सिर बहुत ज्यादा बड़ा होता है वह पापी एवं निर्धन होता है। यदि किसी प्रकार से उसके पास धन आ भी जावे तो निश्चय ही, उस धन का व्यय अनैतिक कार्यों में ज्यादा होता है।
• झुके सिर वाला व्यक्ति महापुरुष, विनम्र, मृदुभाषी एवं विद्वान होता है।
• अत्यन्त ही नीचे सिर वाला व्यक्ति अल्पायु एवं अनर्थ करने वाला होता है। ऐसे सिर वाली स्त्रियाँ भी अच्छी नहीं होतीं।
• टेढ़े सिर वाले दरिद्री होते हैं।
• बहुत लम्बे सिर वाले की आयु लम्बी होती है।
• त्रिकोणाकार सिर वाले व्यक्ति ज्यादा महत्त्वाकांक्षी एवं कलाकार होते हैं।
केश लक्षण
• काले एवं घने केशों से युक्त स्त्री-पुरुष उत्तम मान-सम्मान प्राप्त करने वाले होते हैं।
• उम्र से बहुत पहले जिनके बाल सफेद हो जाते हैं वे उदार रोगी एवं तनावग्रसित रहने वाले होते हैं।
• कम उम्र में जिन व्यक्तियों के मिश्रित बाल होते हैं उन्हें सफल होने में बहुत कम ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
• जिन व्यक्तियों के बाल लाल होते हैं वे कपटी, चालाक, स्वार्थी एवं दूसरों का अशुभ सोचने वाले होते हैं।
• सुनहरें बालों वाले स्त्री-पुरुष सीधे, दूसरों के हितचिंतक, परोपकारी एवं सुखी होते हैं। यह नियम प्राकृतिक रूप से सुनहरे केशों के लिये हैं।
• जिन स्त्री-पुरुषों के केश घुँघराले होते हैं वे सामान्यतः सुखी रहते हैं किन्तु कभी-कभी उन्हें संतान, पत्नी नाते-रिश्तेदारों से कष्ट होता है।
• जिन व्यक्तियों के बाल कोमल होते हैं वे स्वस्थ रहते हैं तथा उनके पास धनाभाव नहीं रहता है।
• जिन व्यक्तियों के बाल बहुत कड़े होते हैं वे सदैव धनाभाव से ग्रसित रहते हैं। उनका विशेष मान-सम्मान नहीं रहता है और यदि कठोर होने के साथ-साथ ये बाल पिंगल वर्ण के हुए तो और भी अनेक ऋणात्मक लक्षण उस जातक में दिखाई देते हैं।
• जिन व्यक्तियों के रोम कूप में से 1-1 रोम (बाल) उदय होता है वे सुखी एवं स्वस्थ रहते हैं।
• जिन व्यक्तियों के रोम कूप में से 2-2 बाल निकलते हैं वे सदैव चिंताग्रसित रहते हैं।
• जिनके रोमकूपों से 2-2 से अधिक रोम निकलते हैं वे धनहीन होते हैं।
• भ्रमर जैसे काले, पतले, कोमल, चमकदार लम्बे सीधे केश जिस जातक के होते हैं वह परम सौभाग्यशाली होता है। ऐसे व्यक्ति जीवन में उन्नति करने वाले तथा समाज में बहुत इज्जत बनाने वाले होते हैं। ऐसे केशों वाली स्त्रियाँ कलाकार होती हैं। वे जीवन में सफल होती हैं।
• जिन स्त्री अथवा पुरुष के केश बहुत ज्यादा कुंडल (घुँघराले) होते हैं वे कष्ट पाते हैं। उन्हें अगर धन प्राप्त हो भी जावे तो उन्हें कोई न कोई परेशानी सदैव खड़ी होती है। कम कुंडल केश वाले स्त्री-पुरुष जीवन के प्रारम्भ में कष्ट उठाकर जीवन के उत्तरार्द्ध में परम सुखी होते हैं।
• जिन स्त्री-पुरुष के केश के आगे की तरफ से थोड़े कुण्ड़ल होते हैं वे सुखी एवं स्वस्थ रहते हैं।
• जिन स्त्री अथवा पुरुष के बाल सिर पर ऐसे जमें होते हों मानों कि वे चिपके हुए हों तो ऐसे व्यक्ति जीवन में धोखा, कपट, लूट, चोरी आदि का शिकार अवश्य होते हैं।
• जिन व्यक्तियों के सिर पर जन्म से घने बाल नहीं होते वे कपटी एवं चालाक होते हैं। स्त्रियों में यह लक्षण नहीं होता है और यदि कभी हो तो ऐसी स्त्रियाँ विश्वास योग्य नहीं होतीं।
• जिन व्यक्तियों के केश जीवन के उत्तरार्द्ध में पूरी तरह लुप्त हो तो जाते हैं। वे बुद्धिमान एवं धनी होते हैं।
• जिन व्यक्तियों के केश मध्य में भँवर के समान हों वे शीघ्र उन्नति करते हैं।
• पीत वर्ण के केशों वाले दुष्ट प्रकृति के होते हैं।
• उम्र से बहुत पहले जिनके बाल सफेद हो जाते हैं वे उदार रोगी एवं तनावग्रसित रहने वाले होते हैं।
• कम उम्र में जिन व्यक्तियों के मिश्रित बाल होते हैं उन्हें सफल होने में बहुत कम ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
• जिन व्यक्तियों के बाल लाल होते हैं वे कपटी, चालाक, स्वार्थी एवं दूसरों का अशुभ सोचने वाले होते हैं।
• सुनहरें बालों वाले स्त्री-पुरुष सीधे, दूसरों के हितचिंतक, परोपकारी एवं सुखी होते हैं। यह नियम प्राकृतिक रूप से सुनहरे केशों के लिये हैं।
• जिन स्त्री-पुरुषों के केश घुँघराले होते हैं वे सामान्यतः सुखी रहते हैं किन्तु कभी-कभी उन्हें संतान, पत्नी नाते-रिश्तेदारों से कष्ट होता है।
• जिन व्यक्तियों के बाल कोमल होते हैं वे स्वस्थ रहते हैं तथा उनके पास धनाभाव नहीं रहता है।
• जिन व्यक्तियों के बाल बहुत कड़े होते हैं वे सदैव धनाभाव से ग्रसित रहते हैं। उनका विशेष मान-सम्मान नहीं रहता है और यदि कठोर होने के साथ-साथ ये बाल पिंगल वर्ण के हुए तो और भी अनेक ऋणात्मक लक्षण उस जातक में दिखाई देते हैं।
• जिन व्यक्तियों के रोम कूप में से 1-1 रोम (बाल) उदय होता है वे सुखी एवं स्वस्थ रहते हैं।
• जिन व्यक्तियों के रोम कूप में से 2-2 बाल निकलते हैं वे सदैव चिंताग्रसित रहते हैं।
• जिनके रोमकूपों से 2-2 से अधिक रोम निकलते हैं वे धनहीन होते हैं।
• भ्रमर जैसे काले, पतले, कोमल, चमकदार लम्बे सीधे केश जिस जातक के होते हैं वह परम सौभाग्यशाली होता है। ऐसे व्यक्ति जीवन में उन्नति करने वाले तथा समाज में बहुत इज्जत बनाने वाले होते हैं। ऐसे केशों वाली स्त्रियाँ कलाकार होती हैं। वे जीवन में सफल होती हैं।
• जिन स्त्री अथवा पुरुष के केश बहुत ज्यादा कुंडल (घुँघराले) होते हैं वे कष्ट पाते हैं। उन्हें अगर धन प्राप्त हो भी जावे तो उन्हें कोई न कोई परेशानी सदैव खड़ी होती है। कम कुंडल केश वाले स्त्री-पुरुष जीवन के प्रारम्भ में कष्ट उठाकर जीवन के उत्तरार्द्ध में परम सुखी होते हैं।
• जिन स्त्री-पुरुष के केश के आगे की तरफ से थोड़े कुण्ड़ल होते हैं वे सुखी एवं स्वस्थ रहते हैं।
• जिन स्त्री अथवा पुरुष के बाल सिर पर ऐसे जमें होते हों मानों कि वे चिपके हुए हों तो ऐसे व्यक्ति जीवन में धोखा, कपट, लूट, चोरी आदि का शिकार अवश्य होते हैं।
• जिन व्यक्तियों के सिर पर जन्म से घने बाल नहीं होते वे कपटी एवं चालाक होते हैं। स्त्रियों में यह लक्षण नहीं होता है और यदि कभी हो तो ऐसी स्त्रियाँ विश्वास योग्य नहीं होतीं।
• जिन व्यक्तियों के केश जीवन के उत्तरार्द्ध में पूरी तरह लुप्त हो तो जाते हैं। वे बुद्धिमान एवं धनी होते हैं।
• जिन व्यक्तियों के केश मध्य में भँवर के समान हों वे शीघ्र उन्नति करते हैं।
• पीत वर्ण के केशों वाले दुष्ट प्रकृति के होते हैं।
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- दो शब्द
- सिर लक्षण
- केश लक्षण
- शंख/ललाट लक्षण
- ललाट-रेखा लक्षण
- भ्रू-लक्षण
- नेत्र लक्षण
- कर्ण लक्षण
- नासा लक्षण
- दाढ़ी एवं मूंछ लक्षण
- मुख (चेहरा) लक्षण
- ओष्ट लक्षण
- दंत लक्षण
- जिह्वा एवं तालु लक्षण
- कपोल लक्षण
- ग्रीवा लक्षण
- कंधे के लक्षण
- कोष्ठ (कंधे के नीचे की कोटर) लक्षण
- वक्ष (छाती) लक्षण
- कूच लक्षण
- उदर लक्षण
- नाभि एवं वस्ति लक्षण
- कटि लक्षण
- पीठ लक्षण
- लिंग लक्षण
- अंडकोष लक्षण
- नितम्ब एवं कूल्हे के लक्षण
- हस्त एवं अग्रभुजा लक्षण (बाहु लक्षण)
- जंघा लक्षण
- पैर (पाद) लक्षण
- पाद-अँगुलि लक्षण
- नख लक्षण
- वीर्य्य लक्षण
- मूत्र लक्षण
- स्वर लक्षण
- रूदन एवं हास्य लक्षण
- सामान्य मिश्रित लक्षण
- स्त्रियों के कुछ मिश्रित विशिष्ट लक्षण
- अंगस्फुरण लक्षण
- शरीर उत्पात लक्षण
- तिल/मशक लक्षण
- तिल एवं व्याधियाँ
- शयन लक्षण
- शयन लक्षण
- क्रियाकलाप लक्षण
- मिश्रित लक्षण
अनुक्रम
विनामूल्य पूर्वावलोकन
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