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मुगल कालीन भारत (बाबर)

सैयद अतहर अब्बास रिजवी

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :734
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 9246
आईएसबीएन :9788126718399

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मुगल कालीन भारत (बाबर)

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

मुगलकालीन भारत - बाबर - 1 यह ग्रंथ यद्यपि बाबर के हिन्दुस्तान के इतिहास से सम्बन्धित है किन्तु इस कारण कि काबुल की विजय के उपरान्त ही उसका हिन्दुस्तान से सम्पर्क प्रारम्भ हो गया था, 910 ई. से अन्त तक के पूरे बाबरनामा का अनुवाद भाग ‘‘अ’’ में प्रस्तुत किया जा रहा है किन्तु बाबर के व्यक्तित्व को समझने के लिए उसकी प्रारंभिक आत्मकथा का भी ज्ञान परमावश्यक है अतः भाग ‘‘द’’ में इसका भी अनुवाद कर दिया गया है। केवल कुछ थोड़े से ऐसे पृष्ठों का जो पूर्ण रूप से ऊजबेगों के इतिहास से सम्बन्धित थे, अनुवाद नहीं किया गया है।

ऐसे अंशों के विषय में उचित स्थान पर उल्लेख कर दिया गया है। भाग ‘‘ब’’ के अनुवाद में ‘‘नफ़ायसुल मआसिर’’, गुलबदन बेगम के ‘‘हुमायूं नामा’’, ‘‘अकबर नामा’’ तथा ‘‘तबक़ाते अकबरी’’ के बाबर से सम्बन्धित सभी पृष्ठों का अनुवाद प्रस्तुत किया जा रहा है। बाबर को समझने के लिए अफ़गानों के दृष्टिकोण का ज्ञान भी परमावश्यक है अतः भाग ‘‘स’’ में अफ़ग़ानों के इतिहास से सम्बन्धित ‘‘वाक़ेआते मुश्ताक़ी’’, ‘‘तारीख़े दाऊदी’’, तथा ‘‘तारीख़े शाही’’ का अनुवाद प्रस्तुत किया जा रहा है।

परिशिष्ट में ‘‘हबीबुस् सियर’’, ‘‘तारीख़े रशीदी’’, ‘‘तारीख़े अलफ़ी’’ तथा ‘‘तारीख़े सिन्ध’’ के आवश्यक उद्धरणों का अनुवाद किया गया है। प्रोफ़ेसर रश ब्रुक विलियम्स द्वारा प्रस्तुत प्रसिद्धि प्राप्त ‘‘एहसनुस् सियर’’ नामक ग्रंथ की मिथ्या का खंडन भी परिशिष्ट ही में किया गया है। बाबर के इतिहास के लिए उसकी आत्मकथा हमारी जानकारी का बड़ा ही महत्वपूर्ण साधन है।

प्रस्तुत अनुवाद इसके अब्दुर्रहीम ख़ानख़ानां द्वारा किए गए फ़ारसी भाषान्तर से किया गया है किन्तु मूल तुर्की तथा मिसेज़ बेवरिज एवं ल्युकस किंग के अनुवादों से भी सहायता ली गई है। नाम तो सब के सब तुर्की ग्रंथ से लिये गये हैं और उनकी हिज्जे में तुर्की उच्चारण का ध्यान रक्खा है। उम्मीद है कि यह ग्रन्थ शोधार्थियों और जिज्ञासु पाठकों के लिए उपयोगी साबित होगा।

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