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लोकप्रियता के शिखर गीत

विष्णु सक्सेना

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2013
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 9112
आईएसबीएन :9788183615662

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लोकप्रियता के शिखर गीत...

Lokpriyata ke shikhar geet - A Hindi Book by Dr. Vishnu Saxena

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

गीत तो गंगा की पावन पवित्र धारा के समान है। गीत का इतिहास बताता है कि हज़ारों वर्षों से चली आ रही इस परम्परा के साथ भले ही वक्त छेड़छाड़ करता रहा हो लेकिन उसके मूल स्वरूप को कोई नहीं बिगाड़ पाया, इसलिए ये गंगा पहले भी अपनी शान्त लहरों से जनमानस को आप्लावित करती रही और आज भी कर रही है। मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक, गीत अपना अस्तित्व बनाए रखता है इसीलिए हर अवसर पर गीत किसी न किसी रूप में हमारे सामने आकर खड़ा हो जाता है। वैसे अब तक गीतों के अनेक संकलन प्रकाशित हो चुके हैं लेकिन ये संकलन कई मायनों में अपने आप में इसलिए अनूठा है कि इसमें उन गीतों को शामिल किया गया है जो अपने समय में लोगों के गले का कंठहार बने। ये गीत इतने लोकप्रिय हुए कि कवि की पहचान बन गए।

प्रस्तुत संकलन में काव्य मंच के सभी लोकप्रिय गीतकारों के सर्वप्रिय, चर्चित गीतों को तो शामिल किया ही गया है, इसके अलावा उन गीतों को भी स्थान दिया गया है जो गीत लोकप्रिय तो होने चाहिए थे लेकिन उन्हें समय पर उचित मंच नहीं मिला। इसलिए गीतकारों के गीतों की संख्या में भी समानुपात नहीं रखा गया है।

विश्वास है, हिन्दी गीतों का यह खूबसूरत गुलदस्ता हिन्दी काव्य-प्रेमियों को महक तो देगा ही, साथ में तृप्ति का आभास भी कराएगा...।


आँख खोली तो तुम रुक्मिणी सी लगी
बन्द की आँख तो राधिका तुम लगी,
जब भी सोचा तुम्हें शांत एकांत में
मीराबाई सी एक साधिका तुम लगी
कृष्ण की बाँसुरी पर भरोसा रखो,
मन कहीं भी रहे पर डिगेगा नहीं।

- डॉ. विष्णु सक्सेना

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