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प्रेम क्या है, अकेलापन क्या है ?

जे. कृष्णमूर्ति

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2013
पृष्ठ :192
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9068
आईएसबीएन :9789350641330

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प्रेम क्या है, अकेलापन क्या है ?

Prem Kya Hai, Akelapan Kya Hai ? - A Hindi Book by J. Krishnamurti

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

जिसे हम प्रेम कहते-समझते हैं, वह सच्चा में प्रेम है ? क्या अकेलेपन की वास्तविक प्रकृति वही है जिसका अनुमान हमें डराता है और हम उससे दूर भागते रहतें हैं, और इसी कारण जीवन में कभी भी उस एहसास से हमारी सीधे-सीधे मुलाकात नहीं हो पाती ?

दैनिक जीवन के निकष पर इन दो सर्वाधिक आवृत प्रतीतियों के अनावरण का सफर है : ‘प्रेम क्या है ?’ जे. कृष्णमूर्ति के शब्दों में अधिष्ठित निःशब्द से रहस्यों के धुंधलके सहज ही छँटते चलते हैं, और जीवन की उजास में उसकी स्पष्टता सुव्यक्त होती जाती हैl

‘मन जब भी किसी भी तरकीब का सहारा लेकर पलायन न कर रहा हो, केवल तभी उसके लिए उस चीज़ के साथ सीधे-सीधे संपर्क-संस्पर्श में हो जाता होना संभव है जिसे हम अकेलापन कहते हैं, अकेला होना। किन्तु, किसी चीज़ के साथ संस्पर्श में होने के लिए सावश्यक है कि उसके प्रति आपका स्नेह हो, प्रेम हो।’

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