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कोख

रोशन प्रेमयोगी

प्रकाशक : परमेश्वरी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2013
पृष्ठ :168
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 9033
आईएसबीएन :9789380048727

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कोख...

Kokh - A Hindi Book by Roshan Premyogi

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

सन् 1984 में एक किशोरी एक राजा की हवश का शिकार बनती है। उसकी कोख से जन्मे बच्चे के मन में करीब 25 साल बाद अपने सांवले रंग और नयन-नक्श को लेकर संदेह पैदा होता है। संदेह पुख्ता होता है तो वह पिता से लड़ता है अपनी मां के लिए।

उपन्यास में तीन महिला पात्र हैं। इनमें मधुरिमा सिंह ने मुझे सबसे अधिक प्रभावित किया। वह पहले मुझे सौतेली मां की तरह लगीं, लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती गई, वह धरती की तरह धैर्यवान और समुद्र की तरह गरमाहट से भरपूर मां लगीं। आई.ए.एस. प्रभुनाथ सिंह पहले खलनायक लगते हैं, लेकिन जब कहानी खुलती है तो तमाम पूर्वाग्रह ध्वस्त हो जाते हैं। शैलजा तो बहुत ही प्यारी और समझदार लड़की है, वह सीमान्त को बिखरने से बचाती है। दरअसल शैलजा खंड-खंड होकर नष्ट होने को तत्पर कुछ लोगों को फिर से एक परिवार बनने के लिए प्रेरित करती है। देखा जाए तो अपने व्यक्तित्व से शैलजा ही इस उपन्यास को बड़ा बनाती है। उसके प्यार को थोड़ा और स्पेस मिलना चाहिए था।

गायत्री देवी का संघर्ष और दंश मन को झकझोर देता है। कहानी अंत तक बांधे रखती है मन को, लेकिन यह थोड़ा अजीब लगता है कि गायत्री देवी के दंश को लेखक ने बेटे के प्यार और नैतिकता के बोझ तले दबा दिया, वैसे यह पुरुषप्रधान समाज की रीति है।

- स्व. के. एन. कक्कड़

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