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हास्य-व्यंग्य >> आओ भ्रष्टाचार करें

आओ भ्रष्टाचार करें

कुमार गगन

प्रकाशक : प्रगतिशील साहित्य प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8797
आईएसबीएन :9788190633130

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भ्रष्टाचार के अनेक लाभ हैं। पहला लाभ तो यह है कि देश-विदेश में नाम हो जाता है

Ek Break Ke Baad

भारतीय धर्म ग्रन्थों के अनुसार मनुष्य एक कर्मप्रधान योनि है इसलिये कोई न कोई कर्म तो करना ही होगा। फिर क्यों न भ्रष्टाचार करें और अखबारों को छापने और दूरदर्शन को चर्चा करने का मसाला मुहैया करें। एक युग वह भी था जब सदाचार को मानव का परम धर्म माना जाता था। आज बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का युग है इसलिये पुरानी चीजें मुफीद नहीं रहीं और इस नजरिये से भ्रष्टाचार को मानव जीवन का परम कर्तव्य माना जाता है इसलिये मेरा आपसे निवेदन है कि आओ भ्र्ष्टाचार करें।

कुमार गगन द्वारा रचित इस संग्रह में 39 व्यंग्य लेख हैं।

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