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मार्था का देश

राजी सेठ

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :222
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8701
आईएसबीएन :9780143064091

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राजी सेठ की कम में ज्यादा, साधारण में असाधारण की गहरी रचना क्षमता से तलाश करती सात लंबी कहानियां

Martha ke Desh (Raji Seth)

राजी सेठ की कम में ज्यादा, साधारण में असाधारण की गहरी रचना क्षमता से तलाश करती ये सात लंबी कहानियां पाठक की चेतना को झकझोरने का साहस रखती हैं। इनकी मनोमयता ज़िंदगी के नज़दीक पहुंचकर मनुष्यता के हर जज़्बे की पड़ताल के लिए बेचैन दिखाई देती है।

‘राजी की कहानियों में ‘‘ज़मीन और ज़हन’’ के विस्थापन का दर्द रह-रहकर उभारता है और पाठक की शिराओं में घुलता रहता है। राजी ऐसे सूक्ष्म, भेदक और बेआवाज़ रास्तों से पाठक की संवेदना के मर्म तक पहुंचती है।’

 

देवेंद्र इस्सर

 

‘राजी की तमाम कहानियां किसी सूक्ष्म और विरल मानस तार को झनझनाती हैं। उनका आग्रह पाठक के भीतर के स्रष्टा को जगाने का है। नतीजे में घटना और चरित्र का बोध निकल जाता है, पाठक का स्व जाग जाता है। पाठक की तन्मयता सर्जक की तन्मयता में बदल जाती है।’

 

प्रभाकर श्रोत्रिय

 

‘राजी की कहानियों में लेखकीय अनुभव की जो संजीदगी, जो थिरायापन व्याप्त करता है, वह आवेग में बुद्धि के अनुबंध से पैदा हुआ है।... अनुभव से अभिव्यक्ति की दूरी राजी छलांग लगाकर नहीं, साल्य की गति से तय करती हैं। कहानियों में कोई अनुभव, कोई विचार कच्चे माल की तरह हड़बड़ी में, अनपके-अधपके रूप में पाठक के सामने नहीं आता। सब कुछ अन्ततः पुख़्ता, पोढ़ा, तराशा हुआ...’

 

डॉ. निर्मला जैन

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