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कविता संग्रह >> जिन्दगी के लिए ही

जिन्दगी के लिए ही

रिपुसूदन श्रीवास्तव

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :71
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 8633
आईएसबीएन :9788183615266

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रिपुसूदन श्रीवास्तव का कविता-संग्रह ‘जिन्दगी के लिए ही’ एक लम्बे जीवनानुभव को विभिन्न छवियों में व्यक्त करता है।

Jindagi Ke Liye Hi (Ripusudan Shrivastava)

कविता मौलिक रूप से अनुभव का शाब्दिक विस्तार है। जीवन के तमाम अनुभव जब कल्पना और विचार का साहचर्य प्राप्त करते हैं तब अभिव्यक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। रिपुसूदन श्रीवास्तव का कविता-संग्रह ‘जिन्दगी के लिए ही’ एक लम्बे जीवनानुभव को विभिन्न छवियों में व्यक्त करता है। आज अनेक कारणों से मनुष्य और समाज तथा मनुष्य और प्रकृति के बीच दूरियाँ बढ़ती जा रही हैं। व्यक्ति अपनी जड़ों से दूर होकर एक बनावटी जिन्दगी में बन्दी-सा हो गया है। एक उचाटी शाश्वत भाव-सी बन गई है। स्मृतियाँ हैं कि बार-बार वर्तमान पर दस्तक देती हैं। वे क्षण जो बरसों पहले समय की सदी में प्रवाहित हो गए, जाने कैसे आकुलता के जेल में उभर आते हैं... इस संग्रह की कविताएँ ऐसे बहुत सारे तथ्यों को नेपथ्य में महसूस करते हुए रची गई हैं। इनकी सहजता-सरलता ही इनका अलंकरण है।


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