लोगों की राय

अतिरिक्त >> रिपोर्टर

रिपोर्टर

निमाई भट्टाचार्य

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 8602
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

273 पाठक हैं

रिपोर्टर पुस्तक का आई पैड संस्करण

Reporter - A Hindi Ebook By Nimai Bhattacharya

आई पैड संस्करण


‘‘यक़ीन कीजिये भैया, उम्र बढ़ने पर भी मैंने कभी उत्तेजना या उन्माद का अनुभव नहीं किया। सपने में भी कभी सोचा नहीं था कि मेरे कारण मेरे माँ-बाबू जी को आँसू बहाना होगा। नियति पर विश्वास नहीं करती थी, मगर आज देखती हूँ, नियति ने मेरा अंहकार चूर-चूर कर दिया।’’

अलका एक मिनट के लिए ख़ामोश हो गई; उसके बाद बोली, ‘‘हर बार की तरह इस बार भी दुर्गा पूजा के अवसर पर मुंगेर, अपने ननिहाल गई थी। बहुतेरे सगे-सम्बन्धियों से घर भरा था, इसलिए नवमी की रात थियेटर के बाद जहाँ जिसको सुविधा हुई लेट गया। मेरा ध्यान इस पर नहीं गया था कि मेरे बग़ल में मेरे मझले मामा के साले रथीन बाबू सोये हैं। गहरी नींद में बीच-बीच में ऐसा महसूस होता कि किसी का हाथ मेरे बदन से टकरा रहा है। नींद में ही एक-दो बार हाथ हटा दिया, और करवट लेकर सो गई। ऐसा लगा जैसे घर का ही कोई आदमी मेरी बग़ल में लेटा है। इसके अलावा एक ही कमरे में इतने सारे आदमी अगल-बगल लेटे हों, तो ऐसा होना संभव है। उसके बाद एकाएक मेरी नींद टूट गई। भय और आतंक से मैं चिल्लाने जा रही थी मगर रथीन बाबू मेरा मुँह दबाये हुए थे। कान में फुसफुसाकर कहने लगे, ‘‘अलका, सबको मालूम हो जाएगा, सर्वनाश हो जाएगा, चिल्लाओ नहीं।’’ इस पुस्तक के कुछ पृष्ठ यहाँ देखें।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book