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हिन्द स्वराज : नवसभ्यता विमर्श

वीरेन्द्र कुमार बरनवाल

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :322
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 8425
आईएसबीएन :9788126720842

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गांधी की सोच के वैश्विक और उत्तर-आधुनिक आयाम को बखूबी उद्धाटित करती पुस्तक

Hind Swaraj: Nav Sabhyata-Vimarsh (Virendra Kumar Baranwal)

गांधी के ‘हिन्द स्वराज’ का प्रखर उपनिवेश विरोधी तेवर सौ साल बाद आज और भी प्रासंगिक हो उठा है। नव उपनिवेशवाद की विकट चुनौतियों से जूझने के संकल्प को लगातार दृढ़तर करती ऐसी दूसरी कृति दूर-दूर नज़र नहीं आती। उसकी शती पर हुए विपुल लेखन के बीच उस पर यह किताब थोड़ा अलग लगेगी। इसकी मुख्य वजह गांधी के बीज-विचारों को अपेक्षाकृत व्यापकतर परिप्रेक्ष्य में समझने की इसकी विशद-समावेशी और संश्लिष्ट दृष्टि है।

इसमें गांधी के सोच और कर्म के मूल में सक्रिय विचारकों और इतिहास नायकों-मैज़िनी, टालस्टॉय, रस्किन, एमर्सन, थोरो, ब्लॉवत्सकी, ह्यूम, वेडेनबर्न, नौरोजी, रानाड़े, आर.सी. दत्त, मैडम कामा, श्याम जी कृष्ण वर्मा प्राणजीवन दास मेहता और गोखले आदि के अद्भुत जीवन और चिन्तन की संक्षिप्त पर दिलचस्प बानगी तो है ही, साथ ही गांधीमार्गी मार्टिन लूथर किंग जू., नेल्सन मंडेला, क्वामेन्क्रूमा, केनेथ क्वांडा, जूलियस न्येरेरे, डेसमंड टूटू और सेज़ार शावेज़ आदि के विलक्षण अहिंसक संघर्ष की प्रेरक झलक भी।

बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की भ्रष्ट सरकारों के साथ निर्लज्ज दुरभिसंधि को उजागार कर उनके पर्यावरण और मानव-द्रोही चरित्र के विरुद्ध गांधी की परम्परा में संघर्षरत और शहीद नाइजीरिया के अदम्य केन सारो वीवा और उनके साथियों के मार्मिक प्रसंग इसमें गहराई से उद्वेलित करते हैं। आधुनिक सभ्यता की जड़ें मशीन और उससे प्रेरित अंधाधुंध औद्योगीकरण में हैं। उनके प्रबल प्रतिरोध का गांधी का जीवट जगजाहिर है। अकारण गांधी उत्तर-आधुनिकता के प्रस्थान-बिन्दु नहीं माने जाते।

पुस्तक सोवियत रूस की कम्युनिस्ट तानाशाही के खिलाफ़ हंगरी, चेकोस्लावाकिया और पौलेंड के आत्मवान राज नेताओं इमरे नागी, वैक्लाव हैवेल और लेस वालेश के अहिंसक प्रतिरोध की गौरव-झांकी के साथ गांधी की सोच के वैश्विक और उत्तर-आधुनिक आयाम को बखूबी उद्धाटित करती है। ‘हिन्द स्वराज’ का गुजराती मूल इस पुस्तक के जरिये पहली बार देवनागरी में आया है। कई अनुशासनों से रस ग्रहण करता ‘हिन्द स्वराज’ पर इस अनूठे विमर्श का प्रांजल-ललित गद्य इसे बेहद पठनीय बनाता है।


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