लोगों की राय

जीवन कथाएँ >> वर्द्धमान

वर्द्धमान

राजेन्द्र रत्नेश

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :276
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 8267
आईएसबीएन :9788183613217

Like this Hindi book 2 पाठकों को प्रिय

408 पाठक हैं

स्मित सम्पदा के शीर्ष श्रेष्ठी व‌र्द्धमान महावीर के जीवन और जीवन-काल को व्यक्त करता एक रोचक ऐतिहासिक उपन्यास...

Varddhman - A Hindi Book - by Rajendra Ratnesh

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

व‌र्द्धमान.. स्मित सम्पदा के शीर्ष श्रेष्ठी व‌र्द्धमान महावीर का पोट्रेट मात्र नहीं है बल्कि जैन पुराणों, मान्यताओं, ग्रन्थों तथा श्रुत-अश्रुत प्रसंगों का एक पूरा कोलाज है। और इस कोलाज में जुड़ा कथानक का हर एक टुकड़ा अपने आप में इतना समृद्ध है कि हर एक से एक नया उपन्यास, एक नई कृति जन्म ले सकती है। व‌र्द्धमान में व‌र्द्धमान का आशय हर उस व्यक्ति और परिस्थिति से है जिसको व‌र्द्धमान ने प्रभावित किया और जिसने व‌र्द्धमान को प्रभावित किया.. संसार में संयोग का वियोग तो निश्चित होगा पर वियोग का संयोग हो यह निश्चित नहीं है। भगवान कहते हैं कि संसार के लोग जीने की आशा, मरने का भय, करने का राग और पाने का लालच इन चारों में बंधे हुए जी रहे हैं.. ।

..मेरा धर्म आपको सुख देना है, दुख पहुंचाना नहीं है, मेरे घर पर रहने से आपको सुख मिलता है तो मैं अभी दीक्षा नहीं लूंगा.. ।

उपन्यास में कथ्य की ऐतिहासिकता, जड़ता या पार्थिवता से मुक्त एक सृजनशील शिल्प के रूप में विकसित होती है। उपन्यास में समकालीन देशकाल और परिस्थिति के कई रंग मिलते हैं। पार्थिव सरोकारों और पदार्थीकरण के इस कदर बढ़ते दबाव के समय में भारतीय तत्व-दर्शन-चिंतन और विचार की ओर मुड़ने एवं जुड़ने की आवश्यकता तो है ही इस दिशा में यह उपन्यास एक सार्थक कदम सिद्ध होगा।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book