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पंचतंत्र की कहानियाँ

भगवान सिंह

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :345
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 82
आईएसबीएन :00000000

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पंचतंत्र कई दृष्टियों से संसार की सर्वाधिक लोकप्रिय कृतियों में एक है। इसमें संकलित कहानियों का मूल्य उत्स लोक-जीवन है।

Panchtantra ki Kahaniyan

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

पंचतंत्र कई दृष्टियों से संसार की सर्वाधिक लोकप्रिय कृतियों में से एक है। इसमें संकलित कहानियों का मूल्य उत्स लोक-जीवन है। भारतीय कृतियों में पंचतंत्र ऐसी अकेली रचना है, जिसे पूरी तरह ज्ञानकोश कहा जा सकता है। कथा प्रस्तुति की जो शैली इसमें प्रयुक्त है, उसकी एक लंबी परम्परा है। ‘वेद’, ‘ब्राह्मण’ आदि ग्रन्थों में भी इस फैंटेसी का प्रयोग हुआ है।
आज के माहौल में भी जब साहित्य में हर संदर्भो की नई व्याख्या शुरू हो गयी है, पंचतंत्र की कहानियाँ, प्रतीक कथा के रूप में नई व्याख्या के लिए बहुत माकूल हैं। विष्णु शर्मा के पंचतंत्र को अपनी पूरी छवि के साथ आम पाठक तक पहुँचाने हेतु यह हिन्दी रूप प्रस्तुत किया जा रहा है, जो केवल अनुवाद नहीं है। यह पंचतंत्र की पुर्नरचना है।
इस पुस्तक के प्रस्तोता भगवान सिंह ( जन्म:1931) हैं। इनकी महत्वपूर्ण कृतियाँ हैं- अपने-अपने राम(उपन्यास), आर्य द्रविड़ भाषाओं की मूलभूत एकता, हड़प्पा सभ्यता और वैदिक सभ्यता ( शोध ग्रंथ), उपनिषदों की कहानियाँ, अपने समानांतर ( कविता संकलन), काले उजले पीले, महाभिषग।

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