लोगों की राय

पौराणिक >> भीष्म पितामह

भीष्म पितामह

सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :85
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 8184
आईएसबीएन :9788126705894

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

8 पाठक हैं

भीष्म पितामह

Bhishm Pitamah - A Hindi Book by Bhishm Pitamah

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

भीष्म पितामह भारतीय पौराणिक इतिहास में भीष्म पितामह-जैसा चरित्र दूसरा नहीं। महान वीर, संकल्पशील और धर्म-परायण होते हुए भी उन्होंने जो जीवन जिया, एक गहरे अवसाद की छाया उस पर सदैव पड़ती रही। कुरुवंशी राजकुमारों के पारस्परिक कलह ने उन्हें आजीवन उद्विग्न रखा, लेकिन कोई भी दारुण स्थिति उन्हें कर्तव्य-पथ से कभी विचलित नहीं कर पायी। अपने विलक्षण जीवन के अनेक मोड़ों पर वे हमें आदर्शों के चरम शिखर पर दिखायी देते हैं। महाकवि निराला ने भीष्म पितामह के इसी महान चरित्र को इस पुस्तक में शब्दबद्ध किया है। उन्हीं के शब्दों में, ‘‘महावीर भीष्म के चरित्र से सब शिक्षाएँ एक साथ मिल जाती हैं। पिता के प्रति पुत्र की कैसी भक्ति होनी चाहिए, माता और विमाता के प्रति उसके क्या कर्तव्य हैं, मनुष्यता का आदर्श क्या हो, शास्त्र-अध्ययन, ब्रह्मचर्य और सरल भाव से जीवन के निर्वाह का फल क्या है, समर-क्षेत्र में क्षत्रिय का आदर्श क्या है, यथार्थ वीरता किसे कहते हैं - इस तरह से मनुष्य के मस्तिष्क में मनुष्यता से सम्बन्ध रखनेवाले जितने प्रश्न आ सकते हैं, उन सबका उत्तर भीष्म के जीवन से मिल जाता है।’’ निश्चय ही यह एक ऐसी पुस्तक है, जो किशोर एवं प्रौढ़ - दोनों ही तरह के पाठकों को पसन्द आएगी।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book