लोगों की राय

संस्कृति >> क्यों

क्यों

किसनलाल शर्मा

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :414
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 8106
आईएसबीएन :9788131007389

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

202 पाठक हैं

हिंदू मान्यताओं और परंपराओं का सरल-सुगम विवेचन

Kyon by Kisanlal Sharma

ॐ मांगल्यं तन्तुनानेत
भर्तुर्जीवन हेतुना।
कण्ठे बध्नामि सुभगे
साजीव शरदः शतम्।।

हे पतिव्रते! यह मंगलसूत्र मेरे कर्ता के जीवन का कारण है। इसलिए हे सुभगे! यह सूत्र मैं तुम्हारे गले में बांधता हूं। इससे तुम सौ वर्षों तक जीओ।

ॐ इमं अश्मानमारोह
अश्मेव त्वं स्थिराभव।
सहस्रपृतना
यतोऽभिनिष्ठ इतन्यतः।।

हे वधू! तुम मन से अविचलित रहो। जो तुम्हारा अनहित करे, उसे अपने व्यवहार से वश में रखो। इस पाषाण पर आरूढ़ हो जाओ, और पाषाण की तरह दृढ़ बनी रहो।


कुंभ 12 वर्षों के बाद क्यों?
कलश स्थापना क्यों?
श्रावण माह में शिव पूजन क्यों?
शीतला को बासी भोजन क्यों?
मृतक दाह क्यों?
परिक्रमा क्यों?
कुश पवित्र क्यों?
अभिषेक क्यों?
पूजा के लिए दिशा-विचार क्यों?
सगोत्र विवाह क्यों नहीं?
नवरात्रि पूजन क्यों?
देवशयन क्यों?
चातुर्मास्य क्यों?
करवा चौथ पर चंद्रपूजन क्यों?


प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book