लोगों की राय

उपन्यास >> अपने लोग

अपने लोग

सुचित्रा भट्टाचार्य

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :747
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 8073
आईएसबीएन :9788171199037

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

45 पाठक हैं

अपने लोग...

Apne Log - A Hindi Book by Suchitra Bhattacharya

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

अपने लोग नितान्त अपनी ज़रूरत, अपने सुख, अपनी महत्त्वाकांक्षा, समृद्धि-लालसा की खुदगर्जी के तकाजे पर, इंसान ‘समूह’ बनाता है; समाज गढ़ता है; परिवार रचता है और अनगिनत रिश्तों के जाल में, अपने को उलझाए रखता है। लेकिन हैरत है, फिर भी हर इंसान निपट अकेला है, ज़िन्दगी भर अकेला ही जीता है।

‘अपने लोग’ उपन्यास, इसी निःसंग निर्जनता की तलाश है। इस विशाल कथा की रूपरेखा समसामयिक है; पृष्ठभूमि समकालीन समाज है। माँ और बेटी के माध्यम से दो पीढ़ियों का इतिहास है और इनके इर्द-गिर्द अनगिनत रंग-बिरंगे चरित्र हैं; जिनमें कामयाब इंसान की गोपन नाकामी की स्वीकृति है; नाकामयाब इंसान का कामयाब न हो पाने का दर्द है, वहीं भावी पीढ़ी आशा- आकांक्षाओं, वर्तमान समाज की लाचारी और पापबोध के इर्द-गिर्द घूमती है। निरर्थक विद्रोह की पीड़ा और दो-दो पीढ़ियों के टकराव की दास्तान है।

इसी के समानान्तर, पुरानी हवेली के खंडहरों पर नई इमारत के निर्माण की उपकथा है। नई इमारत, मानो समय के विवेक, मूल्यबोध और अनुशासन की मिसाल है। इन्हीं सबके माध्यम से लेखिका ने निःसंगता का उत्स ढूँढ़ने का प्रयास किया है। इस वृहद उपन्यास में अनगिनत चरित्रों का जुलूस है-कोई बूढ़ा, कोई अधेड़, कोई किशोर, कोई किशोरी; जवान औरत-मर्द या फिर निरा शिशु।

अलग-अलग पीढ़ियों से सम्बद्ध होने के बावजूद ये सब अभिन्न और एकमेक हैं। इन सबके अन्तस में, दुःख और अवसाद चहलकदमी कर रहा है। उपन्यास का नाम भी विराट व्यंजना का प्रतीक है। उपन्यास के सभी पात्र हमारे बेहद जाने-पहचाने, नितान्त करीबी लोग हैं, लेकिन नितान्त अपने होने के बावजूद, क्या सच ही कोई, किसी के करीब है ? क्या सचमुच नितान्त सगा, बिल्कुल अपना है ? इन तमाम जीवनमुखी सवालों का जवाब है - ‘अपने लोग’।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book