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मुहब्बत खुशबू है

बशीर बद्र

प्रकाशक : परिचित बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :143
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7669
आईएसबीएन :978-81-908943-2

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बशीर बद्र की ग़ज़लें...

Muhabbat Khushboo Hai - A Hindi Book - by Bashir Badra

क्या आप किसी ऐसे शाइर को जानते हैं जिसे सिर्फ एक शे’र के कारण सारी दुनिया जानती हो ? उस शाइर का नाम बशीर ‘बद्र’ ही है, जिसने पन्द्रह बरस की उम्र में ही यह शे’र लिखकर उर्दू अदब की दुनिया में तहलका मचा दिया था–


उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में जिन्दगी की शाम हो जाये

उस वक्त का यह जुगनू कुछ ही दिनों में ‘बद्र’ बन गया और आज तक अपनी चाँदनी से उर्दू अदब को रौशन कर रहा है। अदब की दुनिया में वही शे’र मक़्बूल होता है, जो ज़िन्दगी से जुड़ा हुआ हो, जिसमें अपनापन हो और कोई बात करने का सलीका भी हो। ज़रा उनका यह शे’र देखें-

लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में

बशीर ‘बद्र’ के यहाँ हर मौज़ी पर शे’र मिल जाता है। ऐसे अनेक मौज़ूआत है, जिन पर बशीर ‘बद्र’ ने शे’र कहे हैं। लेकिन दरअस्ल, बशीर ‘बद्र’ मुहब्बत के शाइर हैं। उनका कहना है-

इतनी मिलती है मेरी ग़ज़लों से सूरत तेरी
लोग तुझको मेरा महबूब समझते होंगे

बशीर ‘बद्र’ की शाइरी में क़ुदरत की कारीगरी और बशीर ‘बद्र’ की हरदिलअज़ीज़ी का राज़ छिपा हुआ है...


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