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मैनेजमेंट गुरु भगवान श्रीराम

सुनील जोगी

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :183
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7210
आईएसबीएन :978-81-288-2000

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भगवान श्रीराम द्वारा सिखाए गए मैनेजमेंट के मंत्र जो आज के युग में भी उपयोगी हैं...

Management Guru Bhagwan Sriram - A Hindi Book - by Sunil Jogi

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

मैनेजमेंट गुरु राम ने विवेक, संयम, विनम्रता और चतुरता के बल पर अपने जीवन में अद्भुत प्रबन्धन-क्षमता हालिस की। उनके जीवन के अनेक आयाम हैं, जिनमें हज़ारों रंग हैं। वे सभी को यथायोग्य मान देते हैं। वे एक अच्छे शिष्य, पुत्र, भाई और सच्चे मित्र हैं। धर्म के मार्ग पर चलने वाले राम सत्यवादी और अपने वचन का पालन करने वाले हैं। दूरदर्शी, अहंकाररहित और कूटनीतिज्ञ होने के साथ वे सच्चे समाजवादी हैं। वे गुणग्राहक हैं और दूसरों को उनके कार्यों के लिए खुले मन से श्रेय देते हैं।
राम के ऐसे ही अनेक गुणों को इस पुस्तक में उकेरा गया है। इन गुणों को अपनाकर हम अपने जीवन को बखूबी मैनेज कर सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

भूमिका


महाकवि तुलसीदास ने ‘रामचरित मानस’ लिखकर महामानव राम के चरित्र से हमारा परिचय कराया। उनसे पहले आदिकवि वाल्मीकि राम-कथा पर आधारित ‘रामायण’ लिख चुके थे, लेकिन संस्कृत भाषा में होने के कारण जनसाधारण तक इसकी पहुँच नहीं थी। तुलसीदासजी ने सीधी-सरल भाषा में यह महाकाव्य लिखकर हम सब पर उपकार किया, जिसमें हम राम के अद्भुत चरित्र से परिचित हो सके।

राम का सम्पूर्ण चरित्र अनुकरण करने योग्य है। इसमे उनके चरित्र के अनेक रूप हमें देखने को मिलते हैं और उनका हर रूप विशिष्ट है। अपने सम्पूर्ण जीवन का प्रबन्ध उन्होंने इतनी कुशलता से किया कि हम उनकी प्रशंसा किए बिना नहीं रह सकते। उनके चरित्र से हम अपने गुरुजनों और माता-पिता का सम्मान कर उनकी आज्ञा का पालन करना, भाइयों को सच्चा प्रेम करना और विपत्ति में अपने मित्रों की निःस्वार्थ सहायता करने का पाठ सीख सकते हैं। वे ऐसे आदर्श पुरुष हैं, जो अपनी प्रतिज्ञा और वचन पालन के लिए अपने प्राणों तक की परवा नहीं करते, जो शरण में आने वाले को शरण देकर उसकी रक्षा का भार अपने ऊपर ले लेते हैं। वे सबसे प्रेम करते हैं, विनम्र स्वभाव के हैं, दूरदर्शी और अति सम्वेदनशील हैं। वे सत्य और धर्म पर दृढ़ रहते हुए नीति का पालन करने वाले हैं। कहना न होगा उनका चरित्र विविधवर्णी है।
राम-कथा पर आधारित अनेक पुस्तकें है, लेकिन प्रबन्धन-क्षमता को रेखांकित करने वाली अपनी तरह की यह अनूठी पुस्तक है, जिसे पढ़कर आप जीवन का समुचित प्रबन्धन करना सीख सकते हैं।

‘रामचरित मानस’ की गीता प्रेस, गोरखपुर (उ.प्र.) की प्रति पूर्णतया प्रामाणिक है और सन्त प्रवर ‘भाई जी’ हनुमान प्रसाद पोद्दार का उस पर टीका तो अद्भुत एवम् श्लाघनीय है। ‘मानस’ की अर्द्धालियों, चौपाइयों, दोहों, सोरठों और छन्दों की प्रामाणिक टीका हमने उसी से ली है। इस हेतु हम गीता प्रेस, गोरखपुर के आभारी हैं।
पुस्तक के प्रकाशक आदरणीय श्री नरेन्द्र वर्मा जी का भी बहुत-बहुत आभार, जिन्होंने इस पुस्तक का प्रकाशन किया।
पाठकों के सुझावों का सदैव स्वागत है।

अनुक्रम


१. गुरु आज्ञा को सर्वोपरि मानने वाले
२. माता-पिता की आज्ञा का कर्तव्य की तरह पालन करने वाले
३. भाइयों को बहुत प्रेम करने वाले
४. पवित्र चरित्र वाले तथा पत्नी को ‘कामपत्नी’ नहीं धर्मपत्नी मानने वाले
५. मित्रों के सच्चे हितैषी
६. सबको यथायोग्य मान देने वाले
७. शरणागत की सब प्रकार से रक्षा करने वाले
८. सबको प्रेम करने वाले तथा प्रेम के वश में रहने वाले
९. प्रतिज्ञा और दिये गये वचन का पालन करने वाले
१॰. संकट के समय उचित प्रबन्धन करने वाले
११. दूसरों को उनके कार्य के लिए श्रेय देकर उनका आभार मानने वाले
१२. धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने वाले
१३. अतिसंवेदनशील और भावुक
१४. विनम्रता की प्रतिमूर्ति तथा अहंकारशून्य
१५. गुणग्राहक
१६. दूसरों का उत्साहवर्द्धन करने वाले
१७. सच्चे समाजवादी
१८. हँसमुख और विनोदी
१९. सबकी सलाह से कार्य करने वाले
२॰. बिना प्रचार के कार्य करने वाले
२१. कूटनीतिज्ञ
२२. दूरदर्शी
२३. परम विज्ञानी
२४. महादानी
२५. सन्ध्या-वन्दन तथा यज्ञ कर पर्यावरण की रक्षा करने वाले
२६. राष्ट्रभक्त राम
२७. राम के बारे में दूसरे मनुष्यों के विचार
२८. राम के नीतिवचन
२९. राम : ज्ञान के भण्डार
३॰. रामराज्य : सच्चा लोकतन्त्र


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