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नार्निया की कहानियाँ भोर के राही का सफ़र

सी.एस.लुइस

प्रकाशक : हार्परकॉलिंस पब्लिशर्स इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :323
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6412
आईएसबीएन :978-81-7223-741

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नार्निया...जहाँ एक ड्रैगन जाग उठा है....जहाँ सितारे ज़मीन पर चलते हैं.....जहाँ कुछ भी हो सकता है...

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

नार्निया

एक सफ़र जो दुनिया के आख़िरी छोर तक जाता है
नार्निया......जहाँ एक ड्रैगन जाग उठा है......जहाँ सितारे ज़मीन पर चलते हैं.......जहाँ कुछ भी हो सकता है।

कैस्पियन और कुछ बिन बुलाए मेहमान ऐसे सफ़र पर चल पड़े हैं जो उन्हें पहचान के पार अनजाने देशों में ले जाएगा। जैसे-जैसे वे पहचाने पानियों से दूर जाते हैं, वो पाते हैं कि दुनिया का आख़री छोर तो सिर्फ़ दूसरी दुनियाओं की शुरूआत है। क्या उस आखरी छोर पर ही आस्लान का देश है ?

भोर के राही का सफ़र


एडमंड और लूसी को गर्मी की छुट्टियाँ अपने सड़ियल कज़न यूस्टॅस के साथ बितानी पड़ रही हैं। बेहद मायूसी में वे ड्रैगन के मुँह वाले पानी के जहाज़ की तस्वीर को देख रहे होते हैं जब वह जहाज़ अचानक हिचकोले खाने लगता है और तूफ़ानी हवाएँ चलने लगती हैं। पलक झपकते फ्रेम ओझल हो जाता है और तीनों बच्चे लहरों में हाथ पैर मार रहे होते हैं। जहाज़ से नीचे फेंकी गई रस्सियाँ पकड़ वे उस पर सवार होते हैं।

जहाज़ पर है राजकुमार कैस्पियन, जो अपने पिता के सात दोस्तों को खोजने निकला है।

नार्निया की कहानियों का यह जोश भरा पाँचवाँ किस्सा है।

जहाज़ वाली तस्वीर


एक लड़का था जिसका नाम था यूस्टॅस क्लैंरेंस स्क्रब। उसके मम्मी-पापा उसे यूस्टॅस क्लैरेंस कह कर बुलाते थे, और उसके टीचर, स्क्रब। अब उसके दोस्त उसे किस नाम से बुलाते थे यह तो मैं तुम्हे नहीं बता सकता क्योंकि उसके दोस्त ही नहीं थे। वह अपने मम्मी-पापा को ‘मम्मी’ और ‘पापा’ नहीं कहता था बल्कि उन्हें ‘एल्बर्टा’ और ‘हैरॅल्ड’ कह कर बुलाता था क्योंकि वे खुद काफ़ी मॉडर्न और नए ख़्यालात के लोग थे।

वे कट्टर शाकाहरी थे, धूम्रपान नहीं करते थे और न ही किसी तरह का नशा करते थे। उनके अंदरूनी कपड़े तक औरों से काफ़ी अलग थे। उनके घर में बहुत ही कम फर्नीचर था, पलंग सख़्त थे और उन पर कंबल-रज़ाई ना के बराबर ही थे। और तो और, सर्दियों में भी वे सारी खिड़कियाँ खुली रखते थे।

यूस्टॅस क्लैंरेंस को जानवर पसंद थे। खास तौर पर मोटे रंगीन कीड़े, जैसे बीटल्स, बशर्ते कि वे मरे हुए हों और किसी कार्ड पर पिन से ठुके हुए हों। उसे किताबें तो अच्छी लगती थीं लेकिन सिर्फ वे, जिनमें ढेरों जानकारी हो और खेती-बाड़ी में इस्तेमाल होने वाली बड़ी-बड़ी मशीनों की तस्वीरें हों, या जिनमें तस्वीरें हों मोटे विदेशी बच्चों की, स्कूल में कसरत करते हुए।

यूस्टॅस क्लैरेंस को अपने कज़न, यानि कि चारों पैवेन्ज़ी बच्चे-पीटर, सूज़न, एडमंड और लूसी-कतई पसंद नहीं थे। लेकिन जब उसने सुना कि एडमंड और लूसी उनके यहाँ रहने आ रहे थे तो वह काफ़ी खुश हुआ। क्योंकि अंदर ही अंदर उसे रौब जमाना और दूसरों को दबाना अच्छा लगता था। पिद्दी सा वो लड़का यूं तो लड़ाई में लूसी तक का मुकाबला नहीं कर सकता था, पर जानता था कि लोगों को परेशान करने के दर्जनों तरीके हैं यदि तुम अपने घर में हो, और दुश्मन बस मेहमान बन कर आया हो।

एडमंड और लूसी तो बिल्कुल आना ही नहीं चाहते थे। लेकिन अंकल हैरॅल्ड और एल्बर्टा आंटी के साथ आकर रहने के सिवा और कोई चारा ही न था। उन गर्मियों में उनके पापा को अमेरिका में सोलह हफ़्ते तक लेक्चर देने का काम मिल गया था और उनकी मम्मी को उनके साथ जाना था क्योंकि पिछले दस बरसों से उन्होंने कोई छुट्टी नहीं मनाई थी। पीटर तक इम्तिहान के लिए कड़ी मेहनत कर रहा था और इन छुट्टियों में उसे प्रोफेसर किर्के के घर रह कर उनसे कोचिंग लेनी थी। यह वही प्रोफेसर किर्के थे जिनके घर बच्चे जंग के दौरान रहे थे, और उन्होंने वहाँ ढेरों एडवेंचर किए थे। यदि प्रोफेसर अब भी उसी घर में रहते होते तो सभी बच्चे वहाँ जाकर रह सकते थे। लेकिन अब वे काफी ग़रीब हो चुके थे। और एक छोटी सी कॉटेज में रहते थे जहाँ सिर्फ एक ही कमरा फालतू था। बाकी तीनों बच्चों को अमेरिका ले जाने में काफ़ी पैसे खर्च हो जाते तो इसलिए सिर्फ सूज़न अमेरिका गई।

घर के सभी बड़े सूज़न को सभी बच्चों में सबसे सुंदर मानते थे। वो पढ़ाई में ज़्यादा होशियार नहीं थी चाहे वैसे वो अपनी उम्र की बाकी लड़कियों से कहीं ज्यादा समझदार थी। उसकी मम्मी को लगता था कि इस ट्रिप से सूज़न को काफी फायदा होगा।

एडमंड और लूसी ने काफी कोशिश की कि वे सूज़न की अच्छी किस्मत से न जलें, लेकिन एल्बर्टा आंटी के यहाँ छुट्टियाँ बिताना भी काफी दुश्वार लग रहा था। एडमंड लूसी से बोला, ‘‘कम से कम तुम्हारे पास अपना कमरा तो होगा। मुझे तो उस बदबूदार कीड़े यूस्टॅस के साथ कमरा शेयर करना पड़ेगा।’’

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