कहानी संग्रह >> नातूर नातूरकृष्ण बिहारी
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जीवन के जिस रूप और परिदृश्य को पिछले कई वर्षों से देखा जा रहा है, ये कहानियाँ उसी की उपज हैं। क्रूर कहें, नग्न कहें, हक़ीक़त कहें या सचाई। जो चाहें नाम दें मगर खुद के लिए यह तो कदापि न कहें कि ऐसा तो होता नहीं।
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