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भाई की विदाई

आचार्य चतुरसेन

प्रकाशक : पराग प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2003
पृष्ठ :22
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6261
आईएसबीएन :00000

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प्रस्तुत है आचार्य चतुरसेन की कृति भाई की विदाई ...

Bhai Ki Vidai A Hindi Book by Chatursen - भाई की विदाई - आचार्य चतुरसेन

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

भाई की विदाई

नायक छत पर खड़ा था। उसके एक हाथ में सर्चलाइट और दूसरे में भरा हुआ रिवाल्वर था। दो और रिवाल्वर उसकी जेबों में थे। वह प्रत्येक डाकू की गतिविधि का निरीक्षण कर रहा था और साहसिक शब्दों में अंग्रेजी में प्रत्येक को आज्ञा दे रहा था। द्वार पर दो डाकू बन्दूकें ऊँची किए मुस्तैद खड़े थे। गृहपति और गृहणी बीच आंगन में चुपचाप बैठे थे उनके सिर पर पिस्तौल ताने एक डाकू खडा़ था।

चोर डाकू घर में से माल ला-लाकर गट्ठड़ बाँध-बाँध कर आँगन में ढेर कर रहे थे। सब काम चुपचाप हो रहा था। बीच-बीच में बाहर के प्रहरियों की सांकेतिक सीटी, नायक की अस्फुट आज्ञा और साँप की भांति लहराती उज्वल सर्चलाइट की रोशनी-बस इसी का अस्तित्व था। रात खूब अँधेरी थी।

घर के एक कोने से किसी बालिका के चीत्कार की ध्वनि आई। और बन्द हो गई। नायक ने सांकेतिक भाषा में पूछा-क्या है ? और उसे भी उत्तर न मिला वह एकदम आँगन में कूद पड़ा। गृहपति से पूछा -‘‘यह चिल्लाया कौन?’’गृहणी ने मर्माहत भाषा में कहा मेरी लड़की वह अपने कमरे में छुपी थी। तुम लोगों के डर से हमने उसे छिपा दिय़ा था। कोई पापी उसे सता रहा है हाय तुम्हें भगवान का भी भय नहीं ?’’ गृहिणी ने हृदय विदीर्ण करने वाली हाय की।

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