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पर्यावरण विज्ञान

रघुपति सिंह सिंदौस

प्रकाशक : आशा प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6195
आईएसबीएन :00000

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जंगल में एक भालू काला। था गरीब पर बुद्धिवाला।। उसने खोली एक दुकान। लगा बेचने सब सामान।।

Paryavarn Vigyan A Hindi Book Raghupati Singh Sindhaus

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

भालू की दुकान


जंगल में एक भालू काला।
था गरीब पर बुद्धिवाला।।
उसने खोली एक दुकान।
लगा बेचने सब सामान।।

रखता था वह खूब सफाई।
बेचे जाली ढंकी मिठाई।।
धूल–औ-मिट्टी पास न आते।
मक्खी मच्छर नजर न आते।।

रखे सदा सेहत का ख्याल।
बेचा करता बढ़िया माल।।
पोलीथीन से करे परहेज।
दे कागज में माल सहेज।।


हरे-भरे वन



हरे-भर वन प्यारे-प्यारे
फैले चारों ओर हमारे।
व्यर्थ न काटो इनको, ये हैं
सबसे अच्छे मित्र हमारे।
बादल आते, वर्षा होती
वातावरण शुद्ध है रहता।
रहते सब नीरोग हमेशा
खुशियों का है झरना बहता।
देते घर, पुल, नाव बनाने
और जलाने को लकड़ी।
कंद, मूल, फल, मधुर शहद
एवं औषधियां बड़ी-बड़ी।
इसीलिए तो पेड़ लगाओ
और करो इनकी सेवा।
निश्चित पाओगे, बच्चों !
तुम सेवा का फल मेवा।

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