लोगों की राय

अतिरिक्त >> देर है अंधेर नहीं

देर है अंधेर नहीं

वीरेन्द्र तंवर

प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2000
पृष्ठ :11
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6146
आईएसबीएन :81-237-2750-x

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

59 पाठक हैं

करेली गांव की बात है। यहां कला अपने पति किसन के साथ रहती थी। इनके एक बेटा था। एक बेटी थी।

Der Hain Andher Nahin A Hindi Book by Virendra Tanvar

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

देर है अंधेर नहीं है


करेली गांव की बात है। यहां कला अपने पति किसन के साथ रहती थी। इनके एक बेटा था। एक बेटी थी।
किसन शक्की आदमी है। उसे घरवाली पर भरोसा नहीं रहा। वह उसे रोज जलील करता। जली-कटीबातें सुनाता। मारता-पीटता भी था। कला ने लाख सफाई दी। अपने को बेकसूर बताया। उसके माता-पिता गांव में ही रहते थे। उन लोगों ने भी किसन को समझाया। लेकिन किसन का शक दूर नहीं हुआ., उसका कहना था, ‘कला का किसी के साथ गलत संबंध है। कला का चाल-चलन बिगड़ गया है।’

किसन पंचायत में गया। कला की शिकायत की। फैसल
ा करने की मांग की। पंचायत की बैठक बुलाई गई। गांव के लोग जमा हुए। कला के माता-पिता भी पंचायत में आए । पांच सयाने पंच चुने गये। पंच चबूतरे पर बैठे।

किसन ने पंचायत को बताया, ‘‘कला का चाल-चलन बिगड़ गया है। उसका किसी से गलत संबंध है। मैं उसे नहीं रखना चाहता हूं। हमारी छोड़-छुट्टी करवा दीजिए।’’

पंचों ने कला को बुलवाया। दो आदमी उसके घऱ गए। उसने आने से मना कर दिया। पंचों को बहुत बुरा लगा। एक पंच बोला, ‘‘उसने हमारा अपमान किया है। उसे घसीट कर लाया जाए।’’
कुछ लोग कला को घसीटते हुए लाए। उसके कपड़े फट गए। हाथ-पैर छिल गए।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book