लोगों की राय

सिनेमा एवं मनोरंजन >> अमिताभ से अभिषेक तक

अमिताभ से अभिषेक तक

तरुण इन्जीनियर

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :279
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6066
आईएसबीएन :81-288-1764-7

Like this Hindi book 5 पाठकों को प्रिय

201 पाठक हैं

प्रस्तुत है पुस्तक अमिताभ से अभिषेक तक ......

Amitabh Se Abhishek Tak a hindi book by Tarun Engineer - अमिताभ से अभिषेक तक - तरुण इन्जीनियर

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

बॉलीवुड के दो सितारे हैं जो कि वर्षों से सिनेमा के पर्दे पर अपनी चमक बिखेरते आ रहे हैं। एक बिग-बी है तो दूसरे जूनियर बी। दोनों आज सफलता के उस मुकाम पर पहुँच गये हैं, जहाँ सिर्फ काम ही काम है....जिन्दगी उन्हें रुकने की.....थमकर सुस्ताने की इजाजत नहीं देती। लोग इनकी अदाओं पर फिदा हैं। लेकिन इस मुकाम पर दोनों कैसे पहुँचे ? कैसे इन्होंने अपनी अदाओं का लोहा मनवाया ? बस यही सब जानने के लिए पढ़िये बच्चन परिवार की जीवन-गाथा ‘अमिताभ से अभिषेक तक’’!!!

हर दिन मेरे लिये एक चुनौती है..... एक चैलेंज है ...जिसका मुझे सामना करना पड़ता है और कर रहा हूँ क्योंकि सफलता और असफलता जीवन के दो ऐसे पहलू है जिनसे कलाकार कभी मुक्त नहीं हो पाता । जीवन में उतार –चढ़ाव हर व्यक्ति के साथ जुडे़ होते है यदि उतार-चढ़ाव नही होंगे तो समझो जीवन नही है। ऐसा समझ लेना कि मैंने सब कुछ पा लिया—गलत होगा और यह भी आपको बता देना चाहता हूँ कि मेरा जीवन इतना रुचिपूर्ण नहीं हैं कि उसके बारे में मैं कुछ लिखूँ....!!!

अमिताभ बच्चन

मैं आप से कहना चाहता हूँ........


अमिताभ बच्चन
यानी एक तिलिस्म
ऐसा तिलिस्म जो कि बालीवुड का इतिहास कुछ अलग अन्दाज में लिखने की शक्ति रखता है। वह ईमानदार, गरीब व्यक्ति का किरदार निभाता है जिसका गुस्सा, रोना, हँसना और प्यार करना सबको अपने जैसा लगता है। यहाँ तक नई पीढ़ी के अभिनेता भी उसे अपनी प्रेरणा मानने से नहीं शर्माते क्योंकि उन्हें अमिताभ द्वारा पाई गयी सफलता के नुस्खे खूब लुभाते हैं। फिल्मी जीवन तीसरी पारी के.बी.सी के माध्यम से ऐसी खेली कि छोटा पर्दा घर-घर में मशहूर हो गया। और साथ ही टीवी के इतिहास में एक पन्ना और जुड़ गया। फिर तो अनुपम खेर, गोविन्दा, शाहरुख खान भी छोटे पर्दे पर दिखाई देने लगे। इन सभी लोगों ने वही हथकंडे अपनाये थे परन्तु सफलता किसी को भी नहीं मिली। माना कि अमिताभ बच्चन बड़े कलाकार हैं लेकिन उनके बड़े होने का अर्थ कुछ अलग ही हैं क्योंकि फिल्मों के इतिहास में ऐसे अभिनेता कम ही हुए हैं जिनकी छाया फिल्मी पर्दें के बाहर पूरे समाज पर देखी जा सके। वह तिलिस्मी सुपर स्टार हैं। 70 से 90 के दशक तक उनके मुँह से निकला हर एक जुमला लोगों को अपनी जिन्दगी का सिद्धान्त लगने लगा था तब देव आनन्द, राज कुमार, दिलीप कुमार तीन बड़े सितारे बालीवुड़ में मौजूद थे। परन्तु अमिताभ बच्चन कोई भी नहीं बन पाया और न कोई वन मैन इंडस्ट्री कहलाया। पूरा फिल्म उद्योग अमिताभ के होने से चल रहा था। वह फिल्म की सफलता से बोझ अकेले अपने कंधों पर उठाते थे कभी ‘‘दीवार’’ का किरदार निभाकर, तो कभी ‘‘शोले’’ का तो कभी ‘‘डॉन’’ का।

परन्तु कुछ राजनैतिक लोगों को अमिताभ बच्चन की यह तिलिस्मी छवी रास नहीं आई और तरह-तरह के हथकंडे अपना कर उन्हें परेशान करने लगे, कभी फर्जी किसान बताकर तो कभी इनकम टैक्स का डंडा दिखाकर। लेकिन अमिताभ ने हिम्मत नहीं हारी, सबका मुँह तोड़ जवाब दिया। बच्चों को अगर कोई चाचा दिखाई दे तो वो हैं अमिताभ बच्चन। वह जितने लोकप्रिय युवाओं में हैं उससे भी अधिक बच्चों में। ‘‘नसीब’’, ‘‘कालिया’’, ‘‘मि. नटवरलाल’’ आज भी उतनी ही लोकप्रिय हैं जितना के पहले थे। चालीस साल बाद भी अमिताभ का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है। अब तो वह दूसरे देशों में भी लोकप्रिय हो चुके हैं। पिछले दिनों न्यूयार्क के लिंकन सेन्टर में लगभग एक सप्ताह तक उनकी फिल्मों का प्रदर्शन होता रहा, जिसमें नामी-गिरामी प्रवासी भारतीयों ने चुनिन्दा अमेरिकी हस्तियों के साथ शिरकत की। संयुक्त राष्ट्र के मानद राजपूत भी मनोनीत किये गये। जहाँ अमिताभ के अमेरिकियों ने अपने झंडों-और बैनरों में ‘‘महानतम फिल्म स्टार’’ का दर्जा प्रदान किया था। विश्व का कोई ऐसा ब्रांड नहीं है जिसके विज्ञापनों में अमिताभ की शक्ल न दिखाई पड़ी हो।

आई.सी.आई.सी.आई., पेप्सी, लोमानी परफ्यूम, डाबर, नवरत्न तेल सब कुछ मिनटों में बिक जाता है अमिताभ के नाम पर ! अमिताभ की फिल्म देखने के लिए लोग विदेशों में हिन्दी सीख रहे हैं तथा विश्व हिन्दी सम्मेलन में इजराइली विद्वान गेनेडी श्लोम्पर ने कहा था कि पूरी दुनिया में हिन्दी फिल्में देखने वालों की तादाद बढ़ रही है इसलिए हिन्दी को संयुक्त भाषाओं में सम्मिलित कर लेना चाहिए। 7 अगस्त 2007 को ‘‘ब्लैक’’ फिल्म के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने की खुशी में अमिताभ बच्चन फूलें नहीं समा रहे थे। उस समय वह रामगोपाल वर्मा की फिल्म ‘‘सरकार राज’’ का हैदराबाद में शेड्यूल पूरा करके बम्बई लौटे थे और रवि चोपड़ा की फिल्म ‘‘भूतनाथ’’ की महबूब स्टूडियों में शूटिंग कर रहे थे। राष्ट्रीय पुरस्कार अमिताभ को तीसरी बार मिला था। इससे पहले ‘‘सात हिन्दुस्तानी’’ और ‘‘अग्निपथ’’ के लिये मिला था। आज कल हिन्दी फिल्में गरम मसाले की तरह पूरे विश्व में बिक रही हैं, जिनमें अमिताभ बच्चन की फिल्मों को सबसे अधिक पसन्द किया जाता है। यही वजह है कि लन्दन में मैडम तुषाद वैक्स म्यूजियम में अमिताभ बच्चन का मोम का पुतला लगाया गया है क्योंकि अमिताभ बच्चन अब ब्रिटेन में भी उतने ही लोकप्रिय हैं जितने की भारत या पाकिस्तान में। 65 साल की उम्र में भी अमिताभ बच्चन के जलवे बरकरार हैं, फिल्मों में ही नहीं विज्ञापन जगत् में भी आज वह नम्बर वन की हॉट शीट पर हैं तथा चारों खानों यानी कि शाहरूख खान, सलमान खान, सैफ अली खान, और अमीर खान पर भारी पड़ रहे हैं।

आंकड़ों पर यदि विश्वास करें तो वर्ष 2005-06 में केवल विज्ञापन से ही 19 करोड़ की शुद्ध आमदनी हुई थी तथा अमिताभ की अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति का अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह विश्व कम्पनी ‘‘रीड एण्ड टेलर’’ के विज्ञापनों में भी लगातार नजर आ रहे हैं, जिसमें कुछ समय पहले हॉलीवुड़ के एक्टर पियर्स ब्रासनैन मॉडलिंग कर रहे थे। ‘‘जंजीर’’ के एंग्री यंग मैन से ‘‘चीनी कम’’ के लविंग ओल्ड मैन तक और ‘‘नमक हराम’’ के बाबू मोशाय से ‘‘आग’’ के बब्बन तक अमिताभ बच्चन के कई रूप पर्दे पर नजर आये तथा बुलन्दियों पर पहुँचने के बावजूद निजी जिन्दगी में आम आदमी का जीवन जीते रहे। कई बार परेशानियों का भी सामना करना पड़ा। ‘‘खुदा गवाह’’ के बाद फिल्मों से संन्यास भी लिया, सरकारी कर्जों में डूबे परन्तु जादुई तरीके से अपने आपको पुन: स्थापित कर लिया। आज वॉलीवुड़ के अमिताभ ऐसे सितारे बन चुके हैं जो हर दिन एक नया कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। ये अपने में एक अभिनय का विद्यालय समेटे हुए नजर आते हैं। लोकप्रियता, ख्याति, मान-सम्मान सब कुछ है उनके पास। तभी तो लन्दन के ‘‘डी मोंटफोर्ड विश्वविद्यालय’’ ने उनके रचनात्मक महत्त्व को ध्यान में रखकर डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया है। आधुनिक भारत के इतिहास में स्वर्गीय नेहरू के बाद यदि कोई विश्व विख्यात व्यक्ति हुआ है तो वह है अमिताभ बच्चन...!

एक कवि के घर जन्मा यह शख्स एक दिन भारतीय फिल्म उद्योग का पर्याय बन जायेगा......शायद यह दुनिया में किसी ने भी नहीं सोचा होगा- ? 65 वर्ष की उम्र में भी वह इतिहास को उलट-पलट कर बार-बार रच रहे हैं। कोई जुनून है जो उन्हें हर पल कुछ नया करने के लिये प्रेरित करता है। बॉलीवुड़ में उनकी उम्र व्यक्तित्व को ध्यान में रखकर नई-नई कहानियाँ लिखी जा रही हैं। 2007 में वह विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म ‘एकलव्य’ में नजर आये थे, फिर ‘‘नि:शब्द’’, ‘‘शूट आउट एट लोखंडवाला’’, ‘‘चीनी कम’’, ‘‘झूम बराबर झूम’’ और ‘‘आग’’ में जलवे बिखेरते नजर आये और अब आनेवाली फिल्मों में भी वह नये-नये रूपों में नजर आने वाले हैं। जिसमें ‘‘गॉड तूसी ग्रेट हो’’ और ‘‘द लास्ट लियर’’ बहुत जल्दी रिलीज होने जा रही हैं तथा ‘‘टाइम मशीन’’, ‘‘अलादीन का जादुई चिराग’’, ‘‘पाकेटमार’’, ‘‘भूतनाथ’’, ‘‘आँखें-2’’, ‘‘तलिस्मान’’, ‘‘भैरवी’’, ‘‘स्ट्रगलर’’, ‘‘65-स्कवायर’’, ‘‘सरकार राज’’, ‘‘तीन पत्ती’’, ‘‘जॉनी वाकर’’, ‘‘बैजू और तानसेन’’, तथा ‘‘हैप्पी न्यू ईयर’’ सहित आठ से दस फिल्मों में अपनी अदाओं के जलवे बिखेरने को बेताब हैं।

फिल्म ‘‘कागज के फूल’’ और ‘‘गॉड फादर’’ को बार-बार देखनेवाले अमिताभ बच्चन आज पूरे विश्व के लिए एक अजूबा बन चुके हैं। शर्मिला टैगोर ने शायद सही कहा था, ‘‘अमिताभ बच्चन रोज एक नया इतिहास रच रहे हैं तथा रिटायर होने की उम्र में सबकों फिर से अभिनय के क्षेत्र में वापस आने को प्रेरित कर रहे हैं।

हेमा मालिनी, ऋषि कपूर, शर्मिला टैगोर, और वहीदा रहमान सिर्फ अमिताभ के कारण ही फिल्मों में वापस लौटे हैं तथा शत्रुघ्न सिन्हा, विनोद खन्ना आदि सितारे सही ब्रेक की तलाश में अपनी पलकें बिछायें बैठे हैं। 66 वें पायदान पर कदम रख चुके अमिताभ पिछले 40 सालों से अपने अभिनय का लोहा मनवाते आ रहे हैं और अपने बेटे अभिषेक के करियर को संवारने में लगे हैं। अभिषेक के फिल्मों में आते ही मीड़िया ने अमिताभ बच्चन को एक नया नाम भी दे दिया ‘‘बिग बी’’ और अभिषेक को ‘‘जूनियर बी’’।

जूनियर-बी. अपने पिता के पदचिह्नों पर चलते हुए शुरूआती तेरह फिल्मों में फ्लॉप साबित हुए लेकिन ‘‘युवा’’ फिल्म के हिट होते ही अभिषेक के सितारे चमकने लगे। लोग भूल गये अभिषेक की पिछली फ्लॉप फिल्मों को ! अभी लोगों के सिर से ‘‘युवा’’ का नशा उतरा भी नहीं था कि अभिषेक बच्चन की दूसरी सुपर हिट फिल्म ‘‘धूम’’ आ गई, फिर चारों तरफ शोर मच गया अभिषेक की हाई स्पीड़ अदाओं का, जो वाकई के गियरों के साथ बदलते थे। लेकिन ‘‘बंटी और बबली’’ के ‘‘कजरारे-कजरारे’’ गीत ने अभिषेक को एक नई पहचान दी है। फिल्म सुपरहिट रही तथा इसकी कामयाबी का सेहरा भी अभिषेक बच्चन के सिर पर बंधा। इस बीच राम गोपाल वर्मा की ‘‘सरकार’’ भी अच्छी चल निकली। अभिषेक बच्चन का फिल्म के लिये आलोचकों की तारीफ मिली। ‘‘सलाम-नमस्ते’’ में अभिषेक का फिल्म में गैस्ट रोल था जो बहुत छोटा था लेकिन उस छोटे रोल में भी वह दर्शकों को हँसाने में कामयाब रहा, यानी अगर बालीवुड़ का अगला सुपर स्टार अभिषेक कहलाये तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि अभिषेक इस दौड़ में पूरे जोश के साथ शामिल हो चुके हैं। वैसे भी शाहरूख खान के मुकाबले अभिषेक बच्चन जवान हैं, सुन्दर हैं, स्मार्ट हैं और प्रतिभा भी कहीं ज्यादा है। इन सब बातों पर अगर गौर किया जाये तो वो दिन अब दूर नहीं है जब अभिषेक बच्चन न. 1 के मुकाम पर होंगे ?

हाल ही में रिलीज फिल्म ‘‘लागा चुनरी में दाग’’ ने यह साबित भी कर दिया है कि अभिषेक बच्चन में दम है और वह अकेली ही पूरी फिल्म को अपने बल-बूते पर अच्छी टी.आर.पी. दिला सकता है। समाज का हर वर्ग उसे पसन्द करने लगा है विशेषकर युवा वर्ग में उसका क्रेज अधिक है। ‘‘गुरु’’ फिल्म की सफलता के बाद अभिषेक बच्चन अब उस मुकाम पर पहुँच गये जिस मुकाम पर ‘‘जंजीर’’ के बाद अमिताभ बच्चन थे। अमिताभ-जया की जोड़ी ‘‘जंजीर’’ फिल्म में हिट होते ही परिणय सूत्र में हमेशा-हमेशा के लिये बंध गई थी ठीक वैसे ही अभिषेक ऐश्वर्या फिल्म ‘‘गुरु’’ की सफलता के बाद शादी के बन्धन में बंध गये हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि प्यार की आग ‘‘कजरारे-कजरारे’’ गीत के पिक्चराइजेशन के समय भड़की थी। जो फिल्म ‘‘गुरु’’ तक आते-आते शोला बन गई थी। दोनों एक दूसरे के समीप आने के लिये तरसते थे। मगर जे.पी. दत्ता की फिल्म ‘‘उमराव जान’’ ने उन्हें जरूरत से ज्यादा मिलने का मौका दिया। राजस्थान की शानदार हवेलियों में चल रही शूटिंग के दौरान अभिषेक और ऐश्वर्या ने मीडिया की नजरों में धूल झोंककर जमकर वक्त गुजारा और इसके बाद तो दोनो के रोमांस की चर्चाएं आम हो गईं।

एक वक्त वह भी था जब बालीवुड़ की गलियों में अभिषेक बच्चन और करिश्मा कपूर के रोमांस के किस्से आम थे। एक तरफ थी पीढ़ियों से चली आ रही महान अदाकारों की वंशज करिश्मा, जो कई हिट फिल्में देकर मसाला फिल्मो के दीवाने दिलों की रानी बन चुकी थी और दूसरी तरफ था अभिषेक। अभिषेक ने इसका पूरा फायदा उठाया और जे.पी. दत्ता जैसे नामचीन प्रोड्यूसर ने करिश्मा कपूर की बहन करीना कपूर को लेकर अभिषेक के साथ ‘रिफ्यूजी’’ लॉन्च कर दी। अभिषेक को करिश्मा के साथ-साथ करीना के रूप में होनेवाली साली फिल्म रोमांस लड़ाने के लिये मुफ्त में मिल गई थी। इसलिये करीना कपूर भी अभिषेक के लिये खास थी।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book