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इंग्लैंड में भारत

जे. आर. सोनी

प्रकाशक : वैभव प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :96
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5968
आईएसबीएन :00000

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प्रस्तुत है जे. आर. सोनी का यात्रा संस्मरण....

England Mein Bharat

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

इंग्लैंण्ड में भारत

समकालीन साहित्य सम्मेलन का 29वाँ सम्मेलन लंदन में आयोजित होगी ऐसा पत्र मुम्बई से प्राप्त हुआ। मन खुशी से झूम उठा। लंदन शहर को देखने की उत्कंठा जाग उठी। कई दिनों तक मित्रों से विचार विमर्श किया। सभी साथियों ने लंदन जाने के लिए निर्णय लिया। तभी से वीजा बनवाने के लिये श्री वैभव कार्तिकेय फार्म भेज दिये। वीजा बनवाने के लिए कई महत्वपूर्ण अभिलेख भी चाहिये। चूँकि भ्रमण निजी होने के कारण अर्जित अवकाश भी स्वीकृत करानी पड़ती है।

बहुत मुश्किल से मुझे विदेश जाने के लिये कई शर्तो के साथ अंतिम दो दिवस पूर्व अनुमति मिला। अर्जित अवकाश की स्वीकृति नहीं मिल पाई। मैं उच्चाधिकारी से समक्ष मिलकर अनुमति जाने के लिये ले लिया था। बहुत मुश्किल से वीजा बनवाने से लिए फैक्स भेजा। ब्रिटिश दूतावास ने कई पासपोर्ट साइज के फोटो को रिजेक्ट कर दिया। दिवाली के दिन फोटो खिंचवाकर वैभव कार्तिकेय को ईमेल मुम्बई किया। आखिरी दिन से पहले वीजा पास हुआ। वीजा मिलने की सूचना मिलने पर मैंने संत ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस से दिनांक 31-10-2006 को सात टिकट रिजर्वेशन के लिये दिया।

दीपावली की अवकाश होने के कारण सभी गाड़ियों के आरक्षण एक महीने से बंद थी। इसलिए हम लोगों का रिजर्वेशन प्रतिक्षा सूची में था। दिनांक 31-10-2006 को रायपुर स्टेशन से संत ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस से बैठकर मुम्बई के लिये रवाना हुए। रायपुर से नागपुर के बीच आरक्षण के लिये सभी साथियों ने प्रयास किए। परन्तु रिजर्वेशन नहीं मिल पाया। सभी मित्रों ने विचार विमर्श कर नागपुर रेलवे स्टेशन पर उतर गए। डॉ. सुधीर शर्मा ने कहा कि नागपुर से शिरडी बस द्वारा जायेंगे। साई बाबा के दर्शन करके शिरडी से मुम्बई जायेंगे।

सभी अनिश्चित पड़ाव पर चल पड़े। श्री त्रंयंबक शर्मा ने अपने भाई से बोलकर स्लीपर कोच में रिजर्वेशन करा दिया था।
नागपुर में एक होटल में एक कमरे एक घंटे के लिए लिये। सभी मित्रों ने फ्रेश होकर भोजन किये, बस बुकिंग सेंटर पर पहुँच गये। निर्धारित समय 8:30 रात्रि स्लीपर कोट में बैठ गये। नागपुर से शिरड़ी बस 9:30 सुबह पहुंची शिरडी के होटल में एक कमरे लिये। सभी मित्र स्नान करके साईं बाबा के दर्शन करने हेतु मंदिर चले गये।

शिरडी के साईं बाबा मंदिर में बाबाजी के दर्शन किये। दर्शन से मन चित्त प्रसन्न हो गए। साई बाबा के दर्शन से नई उर्जा शक्ति का संचार हुआ। मन प्रफुल्लित हुआ। चूँकि मैं मॉरीशस जाने से पूर्व साईं बाबा का दर्शन किया था। इसलिए शिरडी के सांई बाबा का दर्शन करने के लिये मन लालायित रहता है। शिरडी के शांत निख वातावरण दर्शनार्थी को आकर्षित करता है। जिस प्रकार उत्तर भारत के मंदिरों में पंडाओं द्वारा लूट-खसोट किया जाता है। यात्रियों को ठगा जाता है। यहां वैसा नहीं होता है। यहां सेवा भावना से मानव सेवा का सर्वोच्च स्थान है। यहां किसी प्रकार का भेदभाव, ऊंच नीच छूआछूत की भावना को स्थान नहीं है।

शिरडी से दिनांक 01.11.2006 रात्रि 8:30 बजे स्लीपर कोच से मुम्बई के लिये प्रस्थान किये। मुम्बई बस 6:30 सुबह दिनांक 02.11.2006 को पहुंची। बस स्टैण्ड से आटो द्वारा शांताक्रुज प्रफुल्ल हाल पहुंचे। सभी साहित्यकारों के लिए ठहरने की व्यवस्था किये थे। मुम्बई के शांताक्रुज स्टेशन के पास रेस्टोरेंट में भोजन किये। दोपहर में आराम किये। दोपहर के बाद प्रभा कार्तिकेय ने सभी साहित्यकारों को पासपोर्ट एवं वीजा दिया। मनि एक्सचेंज के लिये वहां एजेंट आये थे। रुपयों को पौंड में बदल लिये। एक पौंड के 87 रुपये दर विनिमय था। सभी साहित्कार बंधु देश के कोने-कोने से आ रहे थे। शांताक्रुज हाल से दिनांक 03.11.2006 समय 12.30 बजे अंतर्राष्ट्रीय सहारा एअरपोर्ट से गल्फ एअरवेज की हवाई जहाज से मस्कट ओमान के लिये उडान भरे। मुम्बई से मस्कट दिनांक 03.11.2006 समय 8:30 सुबह मस्कट एअरपोर्ट पहुंचे।

मस्कट एअरपोर्ट में वीजा क्लीयर कर गल्फ एअर के अधिकारी होटल ले गये। वहां दो दो साहित्यकारों को एक रूम ए.सी. दिया गया। होटल में स्नान करके भोजन किया। मस्कट में सभी साहित्यकारों का लगेज एअरपोर्ट में लंदन जाने के लिये रखी थी। इसलिए किसी के पास टूथब्रश, तेल, क्रीम, चड्डी बनियान एवं कपड़े नहीं थे। जो पहने हुए थे साथ में पासपोर्ट था। मस्कट ओमान की राजधानी है। वहां बहुमंजिली इमारते की कतारें है। बहुत ही समृद्ध देश है। चारों ओर समुद्र से घिरा है। यहां पेट्रोलियम के कुएं अधिक है। मुख्य आय के स्रोत्र पेट्रोल है।

मस्कट एअरपोर्ट से दिनांक 14.11.2006 को गल्फ से लंदन के लिये उडान भरे। लंदन के हीथ्रो अंतर्राष्ट्रीय एअरपोर्ट पर समय 12:00 बजे पहुँचे। एअरपोर्ट से सीधे कार्यक्रम स्थल नेहरु सेंटर लंदन आडले एस्कावायर स्ट्रीट लंदन पहुंचे। नेहरु सेंटर लंदन में अंतर्राष्ट्रीय समकालीन साहित्य सम्मेलन का 29 वां सम्मेलन का शुभारंभ महामहिम श्री कमलेश शर्मा उच्चायोग ने किया। गोष्ठी एवं कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। रात्रि 8:30 बजे कार्यक्रम समाप्त हुआ। मैंने अपनी कई कृतियाँ भारतीय दूतावास के लिये श्रीमति दिव्या माथुर एवं श्री राकेश दुबे को भेंट किया।

नेहरु सेंटर लंदन से बस द्वारा लंदन शहर का दर्शन कराते हुए रात्रि 12 बजे ईटेप होटल पहुंचे। होटल में तीन-तीन साहित्यकारों को एक कमरा आबंटन किया। सभी साहित्यकारों को निर्देश दिये कि पीने का पानी वास बेसिन के नल से गरम पानी आता है, उसे पी सकते है। क्योंकि बोतल का पानी तीन सौ रुपये कीमत का है। इसलिये गरम पानी पी सकते है। रात्रि विश्राम किये। सभी कमरों में तीन बेड थे। दो पलंग नीचे, एक पलंग ऊपर था। कमरा वातानुकूलित एवं साफ सुथरा था।

लंदन शहर का नयनाविराम दृश्य देखकर ऐसा लग रहा था। मानो चांद सितारों के बीच में हूं। गगन चुम्बी इमारतें साफ सुथरी सड़कें, सड़क बत्तियों का प्रकाश चमक दमक, सुव्यवस्थित यातायात, सड़क पर दौड़ती चमचमाती कारों का काफिला, डबल डेकर बसें, मेट्रो रेल, लंदन शहर की भव्यता प्रदान कर रही थी।

लंदर शहर टेम्स नदी के किनारे बसा है। टेम्स नदी लंदन शहर को दो भागों में बांटती है। लंदन आई, टेम्स पर स्थित है। इस झूला से पूरा लंदन शहर को देख सकते है। टेम्स नदी में टावर ब्रिज है। जो कि विश्व प्रसिद्ध है। नदी के दोनों किनारे गगन चुम्बी बहुमंजिले भवनों की श्रृंखला है। पेड़, पौधों, गार्डन से पर्यावरण संतुलित है। लंदन सेण्टर में विण्डसर केसल के पास बैठे पर्यटकों के लेडीज पर्स चोरी कर टेम्स नदी की ओर भाग रहा था। महिला साहित्यकारों ने चिल्लाई तब भीड़ ने उसे पकड़ लिया। चोर लेडीज का पर्स छोड़कर भाग गया। नांदेड के महिला साहित्कार श्रीमति राधा देवी की थी, लंदन शहर में भी चोर मिले। चोर लोग पासपोर्ट की अधिक चोरी करते हैं।

दिनांक 05.11.2006 इंटेप होटल से सुबह 9:30 बर्मिघम के लिये प्रस्थान किये। प्रस्थान से पूर्व डबल रोटी, जूस पापकार्न दूध का नाश्ता लेकर बर्मिघम के लिये बस में बैठ गये। लंदन शहर से चौड़ी सड़कें, धुमावदार पुल, नहरें एवं शहर से बाहर आठ एवं दस लेन सड़कें यातायात को सुगम बनाती है। बस सरपट भागे जा रही थी। बीच-बीच में फार्म हाउसे, जहां भेड़ें हरी घास चर रही थीं। गायों का झुण्ड दिख जाती थी। छोटी-छोटी पहाड़ी पौधों की छोटी ऊंचाई दिख रही थी। खेत आधुनिक ढंग से कृषि के लिये तैयार किये जा रहे थे। मिट्टी का रंग सफेद दोमट था। जहां गेहूँ, आलू, चुकन्दर की खेती होती है।

सड़क किनारे छोटे-छोटे गांव एवं मझोले नगर पड़े। नगरपालिका को ग्रेट ब्रिटेन में काउण्टी कहते हैं। काउण्टी नगरीय निकाय है। वहां जनता द्वारा चुने हुये जन प्रतिनिधि कार्य करते है। ब्रिटिश क्राउन के प्रति जवाबदार होते हैं। गांवों एवं छोटे शहरों में साफ सफाई, बिजली, पानी, सड़कें एवं पुलिस प्रशासन मेयर एवं अध्यक्षों के व्यवस्था में है।


स्वामी नारायण मंदिर



बर्मिघग जाने वाले मार्ग में लगभग 50 कि.मी. की दूरी पर स्वामी नारायण हिन्दू मंदिर लंदन भव्य मंदिर है। संगमरमर एवं लड़की से भव्य एवं सुन्दर मंदिर है। यहां प्रतिदिन हजारों यात्री दर्शन करने आते है। दर्शन करने से मन को शांति मिलती है। स्वामी नारायण मंदिर यूरोप का पहला पारस्परिक हिन्दू मंदिर है। मंदिर के लिए बूलगारिया से 2820 चूना पत्थर तथा 2000 इटालियन केरार्र मार्बल लाया गया, जहाँ भारत से 1500 से भी अधिक कारीगरों द्वारा आकार दिया गया। तीन साल से भी कम समय में 26, 300 काटे गये टुकड़ों को विशाल जिग्सॉ पजल की तरह एकत्र किया गया। हजारों स्वयं सेवकों द्वारा कार्य किया गया था जो आधुनिक युग में जादू जैसा है। मंदिर को अगस्त 1995 में खोला गया।


आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय



स्वामी नारायण मंदिर से बस द्वारा आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय पहुंचते है। जहां पर भव्य इमारतें हैं। टेम्स नदी के किनारे निर्मित है। वहां पढ़ाई के लिये शांत वातावरण है। आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से विश्व प्रसिद्ध विद्वान एवं साहित्यकार पढ़कर निकले हैं। आक्सफोर्ड विश्व विद्यालय में शापिंग सेंटर है। जहां सभी सामान उपलब्ध है। आक्सफोर्ड के आगे बस दौड़ने लगती है। चेरीवाले स्थान में भव्य शापिंग माल है। जहां पर दस हजार कारों की पार्किंग व्यवस्था है। माल के प्रति दिन लाखों लोग आते है। सभी सामग्री एक स्थान में मिल जाती है। यह शापिंग माल गांवों के बीच स्थित है।

विलियम शेक्सपियर के जन्म स्थान स्ट्रेटफोर्ड
चेरीवाले शापिंग माल से बस सरपट स्ट्रेट फोर्ड की ओर दौड़ती है। बस सड़क के किनारे रुक जाती है एवं पार्किंग स्थल में खड़ी हो जाती है। कुछ दूरी पर महान साहित्यकार विलियम शेक्सपियर का जन्म स्थान पुरानी मकान है। इस सरकार द्वारा संरक्षित घोषित है। पास ही दूसरे पक्का मकान में लाइब्रेरी एवं म्यूजियम है। बोर्ड में सभी चीजें लिखी हैं।



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