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प्रकृति द्वारा स्वास्थ्य प्याज और लहसुन

राजीव शर्मा

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :63
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 3487
आईएसबीएन :81-288-0914-8

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प्याज और लहसुन के गुणों का वर्णन....

Prakrati Dwara Swastha Payaj aur Lahsun

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

प्रकृति हम सबको सदा स्वस्थ बनाए रखना चाहती हैं और इसके लिए प्रकृति ने अनेक प्रकार के फल, फूल, साग, सब्जियां, जड़ी-बूटियाँ, अनाज,  दूध,  दही, मसाले, शहद, जल एवं अन्य उपयोगी व गुणकारी वस्तुएँ प्रदान की हैं। इस उपयोगी पुस्तक माला में हमने इन्हीं उपयोगी वस्तुओं के गुणों एवं उपयोग के बारे में विस्तार से चर्चा की है। आशा है यह पुस्तक आपके समस्त परिवार को सदा स्वस्थ बनाए रखने के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।

प्रकृति ने हमारे शरीर-संरचना एवं स्वभाव को ध्यान में रखकर ही औषधीय गुणों से युक्त पदार्थ बनाए हैं। शरीर की भिन्न-भिन्न व्याधियों के लिए उपयोगी ये प्राकृतिक भोज्य पदार्थ, अमृततुल्य हैं।
इन्हीं अमृततुल्य पदार्थों जैसे तुलसी-अदरक, हल्दी, आँवला, पपीता, बेल, प्याज, लहसुन, मूली, गाजर, नीबू, सेब, अमरूद आदि के औषधीय गुणों व रोगों में इनके प्रयोग के बारे में जानकारी अलग-अलग पुस्तकों के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास है-यह पुस्तक।

प्रस्तावना


प्रकृति ने हमारे शरीर, गुण व स्वभाव को दृष्टिगत रखते हुए फल, सब्जी, मसाले, द्रव्य आदि औषधीय गुणों से युक्त ‘‘घर के वैद्यों’’ का भी उत्पादन किया है। शरीर की भिन्न-भिन्न व्याधियों के लिए उपयोगी ये प्राकृतिक भोज्य पदार्थ, अमृततुल्य हैं। ये पदार्थ उपयोगी हैं, इस बात का प्रमाण प्राचीन आयुर्वेदिक व यूनानी ग्रंथों में ही नहीं मिलता, वरन् आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी इनके गुणों का बखान करता नहीं थकता। वैज्ञानिक शोधों से यह प्रमाणित हो चुका है कि फल, सब्जी, मेवे, मसाले, दूध, दही आदि पदार्थ विटामिन, खनिज व कार्बोहाइड्रेट जैसे शरीर के लिए आवश्यक तत्त्वों का भंडार हैं। ये प्राकृतिक भोज्य पदार्थ शरीर को निरोगी बनाए रखने में तो सहायक हैं ही, साथ ही रोगों को भी ठीक करने में पूरी तरह सक्षम है।
तुलसी, अदरक, हल्दी, आँवला, पपीता, बेल, प्याज, लहसुन, मूली, गाजर, नीबू, सेब, अमरूद, आम, विभिन्न सब्जियां मसाले व दूध, दही, शहद आदि के औषधीय गुणों व रोगों में इनके प्रयोग के बारे में अलग-अलग पुस्तकों के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास ‘मानव कल्याण’ व ‘सेवा भाव’ को ध्यान में रखकर किया गया है।
उम्मीद है, पाठकगण इससे लाभान्वित होंगे।
सादर,

-डॉ. राजीव शर्मा
आरोग्य ज्योति
320-322 टीचर्स कॉलोनी
बुलन्दरशहर, उ.प्र.


पुरानी व नई माप

      8 रत्ती             = 1 माशा,    
    12 माशा          = 1 तोला
     1 तोला            = 12 ग्राम
     5 तोला            = 1 छटांक
   16 छटांक            = 1 कि.ग्रा.
    1 छटांक            = लगभग 60 ग्राम


प्याज : सामान्य परिचय



प्याज की अनेक किस्में उपलब्ध हैं और सभी का खास व्यंजनों में अलग-अलग महत्वपूर्ण योगदान है। यहां हम प्याज की कुछ खास किस्मों का वर्णन कर रहे हैं जो घर-घर में आसानी से उपलब्ध होती है।


सफेद प्याज


सफेद प्याज अनेक आकार-प्रकार जैसे गोल, अण्डाकार, बड़ी, छोटी, पिचकी आदि रूप में मिलता है। यह प्याज की सर्वश्रेष्ठ किस्म मानी जाती है। इसका अचार डाला जाता है। क्रीमी सॉस बनाने में भी इसका उपयोग किया जाता है। इसे कच्चा या पकाकर किसी भी प्रकार उपयोग में लाया जा सकता है।


लाल प्याज


यह आमतौर पर सभी बाजारों में बहुतायत मात्रा में मिलती है। कभी-कभी इसे इटैलियन प्याज भी कह दिया जाता है। इसके छिलके के नीचे की परतें हल्की-नीली-लाल रंग लिए होती है। इसको आमतौर पर सलाद बनाने में प्रयोग किया जाता है।


पीली प्याज


पीली प्याज मार्केट में आसानी से मिलने वाली किस्म है। इसका छिलका और परतें हल्का पीलापन लिए होता है। यह प्याज की सभी किस्मों में सबसे ज्यादा तीखी होती है, जो सलाद, सब्जी, अचार, चटनी आदि बनाने के काम में आती है।


पत्तेदार प्याज


हरी व ताजी उखाड़ी हुई प्याजों में जादुई स्वाद व गुण होते हैं। यह आलू सहित विभिन्न सब्जियों के साथ बनायी जाती है। सलाद, आमलेट व स्टीअर फ्राई रेसीपीज में भी इसका उपयोग होता है।
अपेक्षाकृत कम तीखा होने के कारण प्याज न खाने वाले लोग भी इसका सेवन कर लाभ उठा सकते हैं। तल कर, पीसकर, उबालकर, सब्जियों के साथ मिलाकर कैसे भी खाएं-हरी प्याज आपको लाभ ही पहुंचाएगी।


प्याज में मौजूद विभिन्न तत्त्व व गुण



प्याज जीवनोपयोगी तत्त्वों की खान है। इसे गरीबों की ‘कस्तूरी’ कहा गया है। इसका उत्पादन गर्मी में ज्यादा होता है। यही कारण है कि गर्मी में लगने वाली ‘लू’ का इलाज भी यही प्याज है। प्याज में विटामिन सी, लोहा, गन्धक, तांबे जैसे उपयोगी खनिज पाए जाते हैं, जिनसे शारीरिक शक्ति बढ़ती है।

प्रति 100 ग्राम प्याज में पाए जाने वाले पोषक तत्त्व निम्नानुसार हैं :

प्रोटीन 1.2  ग्राम       कार्बोहाइड्रेड 11.1              विटामिन A 15 मि.ग्रा.

वसा  0.1 ग्राम          कैल्शियम 46.9 मिग्रा.         विटामिन C 11 मिग्रा.

खनिज 0.4 ग्राम           फॉस्फोरस 50 मि.ग्रा.        कैलोरी  50 मि.कै.

फाइबर 0.6 ग्राम           लौह 0.7 मि.ग्रा.             जल 86.6 ग्राम

प्याज के डंठल में भी उपयुक्त सभी तत्वों का किसी न किसी अंश में समावेश होता है। डंठल में पानी की मात्रा अधिक रहती है। खनिज लवण और वसा का भी समावेश होता है। इसके बीजों में रंगहीन, गुणकारी व स्वच्छ तेल रहता है। जिसमें गंधक, एल्ब्यूमिन, चूर्णक व अम्ल आदि का समावेश होता है। यह तेल उड़नशील होता है और यही पदार्थ प्याज के सेवनकाल में श्वास के साथ जब शरीर से बाहर निकलता है तो मुंह से दुर्गन्ध आने लगती है।
प्याज के तत्त्व रक्त में शीघ्र मिलकर उसके संचार को नियमित बना देते हैं। इसके सेवन से अपच दूर होता है और भोजन के प्रति रुचि बढ़ती है। प्याज क्षय रोग के कीटाणुओं को नष्ट करता है। यह दंत रोग से बचाव करता है। इसके सेवन से पेशाब खुलकर आता है और उच्च रक्तचाप संयमित रहता है।

शरीर की ऊर्जा शक्ति, उत्साह और जिगर की कार्य क्षमता बढ़ाने में प्याज बेजोड़ है। इसे औषधि के रूप में भी प्रयुक्त किया है। वातार्श, रक्ताल्पता और पीलिया में भी इसका सेवन लाभदायक देखा गया है।

विशेषज्ञों के अध्ययन से निष्कर्ष निकलता है कि प्याज में कृमिनाशक गुण विद्यमान हैं। अत: इसके सामान्य सेवन से ही रोगोत्पादक कीटाणु नष्ट होते रहते हैं। प्याज का नियमित सेवन मनुष्य को दीर्घ और स्वस्थ जीवन प्रदान कर सकता है। पाचन की गड़बड़ी से पैदा होने वाले विकारों में भी प्याज रामबाण की भांति प्रभावकारी होता है। विभिन्न रोगों के चलते भूख मर जाने पर प्याज के सेवन से भोजन के प्रति पुन: रुचि जागृत हो जाती है। आंतों में उत्पन्न सड़न को भी प्याज जड़ से खत्म कर देता है।

रक्त के थक्के जमने, रक्त प्रभाव में अवरोध आदि विकारों में भी नियमित प्याज का सेवन लाभकारी होता है। पक्षाघात, हृदय विकार व मस्तिष्क से सम्बन्धित रोगों पर भी प्याज का चमत्कारिक असर देखा गया है।
मिर्गी, हिस्टीरिया और पाण्डुरोग में भी प्याज लाभकारी है। मिर्गी में प्याज को सुंघा देने मात्र से ही कई बार रोगी को चंगा होता देखा गया है।
जुकाम, खांसी, फ्लू, यकृत, विकार, मूत्रावरोध या मूत्राल्पता तथा संधिवात आदि प्राकृतिक रोगों में प्याज का प्रत्यक्ष प्रभाव देखा गया है। अनुसंधानकर्ता भी इस बात को प्रामाणिक मानते हैं।


दंत रोग


अनुसंधानों से यह स्पष्ट हो गया है कि दांतों की देखभाल या सुरक्षा के जो दावे किए जा रहे हैं वे सही नहीं है। दांतों मसूड़ों की ओर लोगों का रवैया अभी भी बदला नहीं है। दांतों-मसूड़ों के रोग बढ़े हैं। पुरानी जड़ी-बूटियों से बने टूथपेस्टों की ओर बाजार का रुख बढ़ रहा है।


दांत दर्द


दांत का दर्द बेहद असहनीय होता है, इससे सिर और आँखें भी प्रभावित होती हैं, आंखों से पानी गिरता है और सिर में दर्द होता है।

उपचार-

 जैसे ही दांत में दर्द हो, फौरन प्याज की मदद से उसका इलाज कीजिए। कच्चे प्याज के टुकड़े दांतो के दर्द का समूल नाश करते हैं। एक टुकड़े को दुखते दांत पर रख लीजिए और धीरे-धीरे दबाव देकर चबाइए। दांतों का दर्द एक प्याज चबाते-चबाते खत्म हो जाएगा।


दांत में कीड़ा लगने पर


उपचार-दांतों में कीड़े लग जाने पर प्याज के रस से कुल्ला कीजिए और प्याज चबाइए फिर एक टुकड़ा प्याज कीड़े वाले दांतों के बीच दबाकर 15-20 मिनट तक बैठे रहें। ऐसा दिन में कई बार करें। कीड़े मर जाएंगे।


पायरिया


पायरिया दांत का भीषण रोग है। इसकी चपेट में आया एक दांत शीघ्र ही पूरी बत्तीसी को अपनी गिरफ्त में ले सकता है, अत: इसका उपचार फौरन शुरू कर देना चाहिए।

उपचार-

प्याज के टुकड़ों को तवे पर गर्म कीजिए और दांतों के नीचे दबाकर मुंह बंद कर लीजिए। इस प्रकार 10-12 मिनट में लार मुंह में इकट्ठी हो जाएगी। उसे मुह में चारों ओर घुमाइए फिर निकाल फेंकिए। दिन में 4-5 बार 8-10 दिन करें, पायरिया जड़से खत्म हो जाएगा, दांत के कीड़े भी मर जाएंगे और मसूड़ों को भी मजबूती प्राप्त होगी।


मसूड़े फूलना


उपचार-

कलौंजी को दरककर प्याज के टुकडों में सानिए और मुंह में 10-15 मिनट रखिए। जब लार इकट्ठी हो जाए तो मुंह ढीला करके उसे बहने दें। इस प्रकार 3-4 बार करें, फौरन आराम पडे़गा।


मसूड़ों के विकार


मसूड़ों में मवाद पड़ जाए, सूज जाए, पिलपिले हो जाएं और उनमें दर्द होता हो तो दांत कमजोर पड़ जाते हैं। दांतों की मजबूती सुदृढ़ मसूड़ों पर ही निर्भर करती है, यदि नींव ही कमजोर पड़ जाए तो दांत की जड़ हिलती है और वे गिर जाते हैं अत: मसूड़ों को प्याज से दृढ़ता प्रदान कीजिए।

उपचार-

प्याज के टुकड़े मुंह में भर लें और मुंह बंद कर मसूड़ों पर फेंरे। कुछ ही देर में मुंह में लार जमा हो जाएगा। थोड़ी देर के बाद लार और टुकड़े थूक दें। यह क्रिया दिन में 4-5 बार दोहराएं और सुबह प्याज-रस मिले एक गिलास पानी के गरारे भी करें, गरारे धीरे-धीरे इस प्रकार करें कि मसूडों की अच्छी तरह सफाई हो सके।
इस विधि से 6-7 दिनों में ही मसूड़ों को दृढ़ता मिलेगी और दांतों को जड़ जमाने के लिए मजबूत नींव।


पेट के रोग



‘पेट दुरुस्त, तो रहें तंदुरुस्त’ कहावत स्वास्थ्य का मूल मंत्र है। खाने-पीने में गड़बड़ी हो या फिर मानसिक तनाव, सभी का असर पाचन क्रिया पर पड़ता है। प्याज कैसे करता है उदर विकारों का नाश पढ़िए, इस अध्याय में।


अपच


खान-पान में अनियमितता तले, कच्चे-पक्के, गरिष्ठ पदार्थों के सेवन से प्राय: कब्ज हो जाता है जो लोग कुर्सी पर बैठने का कार्य करते हैं, व्यायाम से बचते हैं, उनको ये आम शिकायत रहती है। लगातार अनियमित खान-पान से अजीर्ण होने लगता है, साथ ही कब्ज सिरदर्द, एसिडिटी थकान, बेचैनी, गैस आदि आ घेरते हैं।
उपचार- कुछ दिन प्याज का आधा प्याला रस पीजिए और खान-पान को नियमित बनाइए और अपच जैसे रोगों से कोसों दूर रहिए।


अतिसार


गंदे, बासी खाद्य पदार्थों व दूषित जल के सेवन से कभी-कभी दस्त लग जाते हैं। खाया-पिया अंग नहीं लगता, दस्त के रूप में बाहर निकल जाता है। बच्चों को भी सर्दी या गर्मी के कारण अतिसार हो जाता है। शरीर का पानी तेजी से घटने लगता है।
उपचार- ऐसे में प्याज का दो चम्मच रस व एक चुटकी नमक दिन में चार बार सेवन करें और एक ही दिन में चमत्कारिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें।


अफारा



कभी-कभी भोजन बड़ा स्वादिष्ट बनता है। दावत-शादी आदि मौकों पर बहुत से लोग मुफ्त का भोजन समझकर टूट पड़ते हैं-मानो पेट उनका न हो दुश्मनों का हो। ज्यादा खा लेने पर प्राय: पेट भारी हो जाता है। शाम का खाना सुबह तक नहीं पचता और लोग पुन: दबाकर भोजन कर लेते हैं-इस पर उनकी सांस फूलने लगती है।

उपचार-

 प्याज, अदरक व लहसुन का एक-एक चम्मच रस एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर धीरे-धीरे चाटते हुए ग्रहण करना चाहिए। ऐसा पेट का अफारा समाप्त होने तक दिन में 2-3 बार किया जाना चाहिए।
पथ्यापथ्य-जब पेट सामान्य हो जाए, उसके बाद ही हल्का व संतुलित भोजन लेना चाहिए।


अम्ल पित्त


ज्यादा चाय पीने, खाली पेट चाय-कॉफी लेने, तला-खट्टा-चटपटा भोजन ग्रहण करने से अम्ल पित्त की शिकायत होने लगती है। इससे सीने में तेज शूलयुक्त जलन होने लगती है, कभी-कभी यह दिल के पास होती है और तेज पसीना आने लगता है, रोगी छटपटाने लगता है।

उपचार-

एक बड़ा चम्मच सफेद प्याज का रस, दो बड़े चम्मच दही के साथ अच्छी तरह मिलाकर रोगी को दें।


आंव-दस्त


कई दिनों से कब्ज हो और उस पर दस्त लग जाए तो पेट में भीषण मरोड़ उठते हैं। शरीर दर्द से दोहरा हो जाता है और दस्त के साथ आव भी आता है। इससे बेहद कमजोरी महससू होती है। रोगी एक-दो दस्त में ही निढ़ाल-बेदम-सा हो जाता है।

उपचार-

ऐसे में एक बड़ा चम्मच प्याज का रस व दो बड़े चम्मच क्रीम रहित दही अच्छी तरह मिलाकर देना चाहिए। दिन में तीन-चार बार दें।

1. खाने में मूंग की दाल की पतली घुटी हुई खिचड़ी दें। इस प्रयोग से दो-तीन दिन में ही इस रोग से मुक्ति मिल जाती है।


उल्टी


खाया-पिया भली-भांति न पचे तो वह मुंह के रास्ते उल्टी के रूप में बाहर निकल जाता है। अधिक शराब पीने, अरुचि अथवा जी मिचलाने से भी उल्टी की शिकायत हो सकती है।

उपचार-

एक छोटा चम्मच प्याज का रस व एक छोटा चम्मच अदरक का रस मिलाएं और रोगी को पिला दें। उल्टी आनी बन्द हो जाएगी।
1. एक बड़ी चम्मच प्याज के रस में एक चुटकी नमक डालकर पिला दें। उल्टी की शिकायत खत्म हो जाएगी।


खट्टी डकारें


उपचार-

खट्टी डकारें आने पर नीचे लिखे में से कोई भी एक नुस्खा आजमाएं:
1.  एक बड़ा चम्मच प्याज के रस में एक चुटकी नमक डालकर पी जाएं।
2.  प्याज का छिलका हटाकर उसे सेब की तरह खा जाइए।
3.  प्याज काटकर उस पर नीबू का रस छिड़कें और चबाकर खा जाएं।
4.  प्याज के स्लाइसों को कुछ देर सिरके में डुबाएं रखें और फिर चबा जाएं।


कब्ज


खान-पान की अनियमितता या किसी भी कारण से कब्ज हो सकता है। उपचार—प्याज काटें और नीबू निचोड़ लें। खाने के साथ सेवन करें।
खाने के साथ खाली प्याज में हल्का-सा नमक बुरककर खाएं।
सौ ग्राम प्याज में बीस ग्राम इमली के कोमल पत्ते मिलाएं और बारीक पीस लें। यह चटनी भोजन के साथ सेवन करें। कैसा भी कब्ज हो जड़ से खत्म हो जाएगा।


बवासीर



बवासीर खूनी व बादी दो प्रकार की होती है। इसमें निम्न प्रयोग आजमाएं :

उपचार—

बादी बवासीर में भोजन के साथ नियमित रूप से कच्ची प्याज का सेवन करना शुरू कर दें। कुछ ही दिनों में बवासीर खत्म हो जाएगा।

प्याज को टुकड़े करके सुखा लें फिर गाय के घी में भूनकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को थोड़ी मिश्री व सफेद तिल के साथ नियमित रूप से सेवन करें। जल्दी ही रोग समाप्त हो जाएगा।
बवासीर के मस्से हो गए हों तो उनमें कच्ची या पकी प्याज को पीसकर उसे मस्सों पर लगाएं। नियमित उपचार से शीघ्र आराम मिलता है।

खूनी बवासीर में एक बड़े चम्मच प्याज के रस में आधा चम्मच चीनी व थोड़ा-सा घी मिलाएं और पी जाएं। निश्चित लाभ होगा।
प्याज पर मिट्टी लगाकर गर्म राख में भूनें फिर साफ करके बारीक काटें। इसमें एक चम्मच पिसी मिश्री, चौथाई चम्मच पिसा सफेद जीरा और आधा चम्मच गाय का घी मिलाकर सेवन करें। खूनी बवासीर गायब हो जाएगी।


मदाग्नि



शरीर में कोष्ठबद्धता या लम्बी बीमारी से पेट की आग मन्द पड़ जाती है और सारा शरीर निस्तेज हो जाता है।

उपचार—

प्याज के रस में नीबू व अदरक का रस मिलाकर सेवन करने से भूख लगने लगती है। दिन में तीन खुराक कुछ दिन नियमित लें।


पेट में कीड़े


पेट में कीड़े पड़ने की शिकायत बच्चों में ज्यादा पाई जाती है। इससे पेट फूल जाता है, बच्चे को बार-बार भूख लगती है, पर खाया-पीया उसके शरीर को नहीं लगता, वह कमजोर हो जाता है।
मिट्टी खाने से पेट में कीड़े होते हैं, इसके अलावा बिना धोए खाद्य पदार्थ, सड़ा-गला या ज्यादा मिठाई खाने से भी पेट में कीड़े पैदा हो हो जाते हैं।

उपचार—

25 ग्राम प्याज के रस में 15 ग्राम पानी मिलाकर बच्चे को नियमित रूप से दिन में सुबह-शाम दें। कुछ ही दिनों में मल के साथ कीड़े बाहर निकल जाएंगे।





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