लोगों की राय

उपन्यास >> काजर की कोठरी

काजर की कोठरी

देवकीनन्दन खत्री

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :87
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 13954
आईएसबीएन :9788171782444

Like this Hindi book 0

काजर की कोठरी 'चन्द्रकांता' और 'चंद्रकांता संतति'—जैसी कालजयी उपन्यासमाला के महान लेखक बाबू देवकीनंदन खत्री का एक और महत्त्वपूर्ण उपन्यास है।

चन्द्रकांता' और 'चंद्रकांता संतति'—जैसी कालजयी उपन्यासमाला के महान लेखक बाबू देवकीनंदन खत्री का एक और महत्त्वपूर्ण उपन्यास है। दूसरे शब्दों में, एक बड़े जमींदार लालसिंह की अकूत दौलत को हड़पने की साजिश और साथ ही उसे निष्फल करने के प्रयासों की अत्यन्त दिलचस्प दास्तान। लालसिंह ने अपनी तमाम दौलत को एक सशर्त वसीयतनामे के द्वारा अपनी इकलौती बेटी सरला के नाम कर दिया है। यही कारण है कि शादी के ऐन वक्त लालसिंह के दुष्ट भतीजे सरला को ही उड़ा ले जाते हैं और उसे कैद कर लेते हैं। साथ ही वे सरला के मंगेतर हरनंदन बाबू के चरित्र-हनन की भी कोशिश में लग जाते हैं, और इनकी उन तमाम साजिशों में शरीक है बांदी नामक एक अद्भुत वेश्या। लेकिन उसका मुकाबला करती है एक और 'वेश्या' सुलतानी! वास्तव में यह समूचा घटनाक्रम अनेक विचित्रताओं से भरा होकर भी अत्यन्त वास्तविक है, जिसके पीछे लेखक की एक सुसंगत तार्किक दृष्टि है। इस रचना के माध्यम से जहाँ उसने धनपतियों के बीच वेश्याओं की कूटनीतिक भूमिका को दर्शाया है, वहीं पूँजी के बुनियादी चरित्र—उसकी मानवता-विरोधी भूमिका—को भी उजागर किया है।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book