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सामाजिक विमर्श >> महात्मा ज्योतिबा फुले रचनावली (खंड 1-2)

महात्मा ज्योतिबा फुले रचनावली (खंड 1-2)

एल जी मेश्राम विमलकीर्ति

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :695
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13539
आईएसबीएन :9788171197316

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उनका लेखन हर पीढ़ी में सामाजिक क्रांति की चेतना जगाता रहेगा, इसमें कोई संदेह नहीं

यह किताब जोतिबा फुले (जोतीराव गोविंदराव फुले : 1827-1890) की सम्पूर्ण रचनाओं का संग्रह है। सन 1855 से सन 1890 तक उन्होंने जितने ग्रंथो की रचना की, सभी को इसमें संगृहीत किया गया है। उनकी पहली किताब 'तृतीय रत्न' (नाटक) सन 1855 में और अंतिम 'सार्वजानिक सत्यधर्म' सन 1891 में उनके परिनिर्वाण के बाद प्रकाशित हुई थी। जोतीराव फुले की कर्मभूमि महाराष्ट्र रही है। उन्होंने अपनी सारी रचनाएँ जनसाधारण की बोली मराठी में लिखीं। उनका कार्य और रचनाएँ अपने समय में भी विवादस्पद रहीं और आज भी हैं। लेकिन उनका लेखन हर पीढ़ी में सामाजिक क्रांति की चेतना जगाता रहेगा, इसमें कोई संदेह नहीं। उनकी यह रचनावली उनके कार्य और चिंतन का ऐतिहासिक दस्तावेज है।

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