लोगों की राय

नई पुस्तकें >> वक्त का मैं लिपिक

वक्त का मैं लिपिक

यश मालवीय

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 12258
आईएसबीएन :9789386863645

Like this Hindi book 0

एक करघा जिन्दगी का एक करघा गीत का बुनें दोनों साथ मिलकर हक दुशाला शीत का रोज सुबहें, रोज शामें, रात को घर लौटना पास, अपने पास आकर स्वयं को ही देखना कोई मसला ही नहीं है हार का या जीत का धुँध, कुहरा या उदासी और कातिक की हवा पूर्णिमा का दिन पुकारे, सिंधु-सतलज-बेतवा साँवली यमुना उतारे अक्स अपने मीत का लाल डोरे आँख में, गोधूलि कविता-सी लिखे काँपता मस्तूल, नीली शाम पर तनता दिखे माथ पर रोली समय की, एक चावल प्रीत का (इसी संग्रह से)

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book