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डिजिटल इंडिया

अजय कुमार

प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 12085
आईएसबीएन :9789386054753

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नई तकनीक आती है तो पुरानी तकनीक उसके सामने टिक नहीं पाती। बाबर की सेना बंदूक लेकर आई तो भारत के सैनिक लाठी-भाला लेकर उनके सामने नहीं टिक सके। अंग्रेज तोप लेकर आए तो मुगलों की बंदूक उनके सामने नहीं टिक सकी। नई तकनीक के सामने पुरानी तकनीक पर आधारित रोजगार भी खतरे में पड़ जाते हैं।

प्रारंभ में भारत में कंप्यूटर का काफी विरोध हुआ। कहा गया कि इससे रोजगार घटेंगे, लेकिन कंप्यूटर तमाम नए तरह के रोजगार पैदा करने का साधन बना। यह सही है कि पुरानी तकनीक आधारित रोजगारों को बचाने की मुहिम दुनिया भर में चलती रहती है। अकसर सरकारें भी ऐसी कोशिशों में लगी रहती हैं लेकिन इसका नतीजा अकसर अर्थव्यवस्था पर बोझ बनकर सामने आता है।

डिजिटल दुनिया हर पल और हर दिन बदल रही है। इससे जुड़े संदर्भ, डाटा और सूचनाएँ कभी भी पुरानी पड़ सकती हैं। इसलिए पुस्तक में दिए गए संदर्भ, डाटा और सूचनाओं को बदलते संकेतक के रूप में देखा जाना चाहिए।

डिजिटल तकनीक आधारित कंप्यूटर और मोबाइल समाज, संस्कृति और अर्थव्यवस्था के साथ जीवनशैली को भी तेजी से बदल रहे हैं। इस बदलाव से आम और खास सभी प्रभावित हैं। बदलाव की इसी गति और प्रवृत्ति को इस पुस्तक में देखने की कोशिश की गई है, जो सुहृद पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।

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