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उपासना एवं आरती >> श्रीशिवचालीसा

श्रीशिवचालीसा

गीताप्रेस

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :32
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1128
आईएसबीएन :81-293-0332-9

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शिव चालीसा .....

Sri Shiv Chalisa -A Hindi Book by Gitapress - श्रीशिवचालीसा - गीताप्रेस

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

ॐ नम: शिवाय

श्रीशिवचालीसा
श्रीशिवप्रात:स्मरणस्तोत्रम्


प्रात: स्मरामि भवभीतिहरं सुरेशं
गंगाधरं वृषभवाहनमम्बिकेशम्।
खट्वांगशूलवरदाभयहस्तमीशं
संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम्।।
प्रातर्नमामि गिरिशं गिरिजार्धदेहं
सर्गस्थितिप्रलयकारणमादिदेवम्।
विश्वेश्वरं विजितविश्वमनोऽभिरामं
संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम्।।
प्रातर्भजामि शिवमेकमनन्तमाद्यं
वेदान्तवेद्यमनघं पुरुषं महान्तम्।
नामादिभेरहितं षड्भालशून्यं
संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम्।।

प्रात: समुत्थाय शिवं विचिन्त्य श्लोकत्रयं येऽनुदिनं पठन्ति।
ते दु:खजातं बहुजन्मसंचितं हित्वा पदं यान्ति तदेव शम्भो:।।

श्रीशिवचालीसा


दोहा


अज अनादि अविगत अलख, अकल अतुल अविकार।
बंदौं शिव-पद-युग-कमल अमल अतीव उदार।।1।।
आर्तिहरण सुखकरण शुभ भक्ति-मुक्ति-दातार।
करौ अनुग्रह दीन लखि अपनो विरद विचार।।2।।
परयो पतित भवकूप महँ सहज नरक आगार।
सहज सुहृद पावन-पतित, सहजहि लेहु उबार।।3।।
पलक-पलक आशा भरयो, रहयो सुबाट निहार।
ढरौ तुरंत स्वभाववश नेक न करौ अबार।।4।।


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