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किस्से अवध के

जगदीश पीयूष

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :192
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10997
आईएसबीएन :9789352211838

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

अवध के किस्सों में लम्बी यात्राएँ हैं। ए भगवान् राम के साथ वन-वन घूमे हैं, तो प्रवासी भारतियों के साथ मारीशस, फिजी, गयाना आदि सुदूर देशों तक जाकर आज भी वहां सुने-कहे जा रहे हैं। श्रमिकों ने इन्हें खुले आसमान व् वृक्षों के नीचे सुनाया, तो गरीबों ने झोंपड़ियों में और धनवानों ने महलों में, ऋषियों-मुनियों ने इन्हें वेदों, पुराणों, आरण्यक ग्रंथों उपनिषदों, रामायण, महाभारत आदि में अपनी शैली में समावेशित किया। लोक साहित्य में विश्वासों में कोई सुदृढ़तर्क योजना भले न दिखे, लेकिन, इनमे प्रतीक या अन्योक्ति की कई छवियाँ दिख जाती हैं। किस्सों में भूत-प्रेत, जादू-टोना, चमत्कार आदि का उल्लेख होता रहता है। इनका आनंद लेकर इनमे उलझे बिना पाठक अपना अर्थ प्राप्त कर लेता है। किस्से अवध के में सामाजिक संबंधो का पूरा भूगोल दिखता है। इसे स्त्री-विमर्श और अस्मिता-विमर्श के दृष्टिकोण से भी पढ़ा जा सकता है। यह भी जाना जा सकता है कि भारतीय समाज की आंतरिक संरचना में जाती और वर्ण आदि की सकारात्मक या नकारात्मक धारणाएं क्या हैं ? इन किस्सों में शाश्वत मान्यताओं की पुष्टि रोचक ढंग से हुई है। इनमे सन्देश और मनोरंजन का मिला-जुला आस्वाद है।

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