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उपन्यास >> सूनी घाटी का सूरज

सूनी घाटी का सूरज

श्रीलाल शुक्ल

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :139
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10559
आईएसबीएन :9788171787906

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

सूनी घाटी का सूरज’ एक ग्रामीण युवक के बारे में है जो शिक्षित और प्रतिभाशाली होने के बावजूद स्वयं को एक ऐसे समाज में पता है, जहाँ उसकी सोच, आदर्शों और गुणों के व्यापारी प्रतिशित हैं। लेकिन उस बाज़ार में अपनी गुणवत्ता और उपयोगिता को साबित करने के लिए उसके पास न तो सिफारिश है, न उसके सम्बन्ध किसी ‘बड़े’ से हैं और न ही रिश्वत देने के लिए उसके पास धन हैं। उसने अपने पिता को कर्जदार होकर एक खानदानी ठाकुर के यहाँ बंधुआ जैसा जीवन जीते देखा है, और उनकी मृत्यु के बाद उसकी अपनी पढाई एक हेडमास्साब के पास अनाथ की तरह रहकर, सेवा करके और फिर ट्यूशने आदि करके पूरी हुई, इसी तरह उसने एक मेधावी छात्र के रूप में प्रथम श्रेणी की डिग्रीयाँ हासिल किन। लेकिन अपनी उन सीमाओं के चलते जिनके लिए वह खुद नहीं, बल्कि व्यवस्था जिम्मेदार है, वह अपने लिए कहीं जगह नहीं पता। फलस्वरूप युग के आकर्षण, अतीत की प्रताड़ना और वर्तमान की निराशा को झाड़कर वह उसी अँधेरी और सुनसान घाटी में उतरने का फैसला करता है, जहाँ उसकी सर्वाधिक आवश्यकता है।

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