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जैन साहित्य >> मंगलमन्त्र णमोकार : एक अनुचिन्तन

मंगलमन्त्र णमोकार : एक अनुचिन्तन

नेमिचन्द्र शास्त्री

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :220
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10532
आईएसबीएन :9788126316571

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णमोकार महामन्त्र की गरिमा सर्वविदित है. इसके उच्चारण की भी महिमा है. साथ ही यह आराधना, साधना और अनुभूति का विषय है....

णमोकार महामन्त्र की गरिमा सर्वविदित है. इसके उच्चारण की भी महिमा है. साथ ही यह आराधना, साधना और अनुभूति का विषय है. श्रद्धा और निष्ठा होने पर यह आत्म-कल्याण और लौकिक अभ्युदय दोनों का मार्ग प्रशस्त करता है. यह कृति इस मंगल मन्त्र के कुछ ऐसी निगूढ़ पक्षों का उद्घाटन करती है जो इसे एक खोजपूर्ण और मौलिक कृति बना देते हैं. साथ में यह भी दरसाया गया है कि णमोकार मन्त्र ही समस्त द्वादशांग जिनवाणी का सार है, इसी महामन्त्र से समस्त मन्त्र शास्त्र कि उत्पति हुई है.

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