लोगों की राय

जैन साहित्य >> तत्त्वार्थराजवार्तिक (प्रथम भाग) (संस्कृत, हिन्दी)

तत्त्वार्थराजवार्तिक (प्रथम भाग) (संस्कृत, हिन्दी)

भट्ट अकलंक

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :430
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10494
आईएसबीएन :9788126316038

Like this Hindi book 0

उमास्वामी कृत 'तत्त्वार्थसूत्र' के प्रत्येक सूत्र पर वार्तिक रूप में व्याख्या किये जाने के कारण इस महाग्रन्थ को 'तत्त्वार्थवार्तिक' कहा गया है.

उमास्वामी कृत 'तत्त्वार्थसूत्र' के प्रत्येक सूत्र पर वार्तिक रूप में व्याख्या किये जाने के कारण इस महाग्रन्थ को 'तत्त्वार्थवार्तिक' कहा गया है. ग्रन्थकार भट्ट अकलंकदेव ने सूत्रों पर वार्तिक ही नहीं रचा, वार्तिकों पर भाष्य भी लिखा है. इसका एक नाम 'राजवार्तिक' भी है. 'तत्त्वार्थवार्तिक' का मूल आधार आचार्य देवनन्दी पूज्यपाद की सर्वार्थसिद्धि है. 'तत्त्वार्थवार्तिक' में यों तो दर्शन-जगत के अनेक नए विषयों की चर्चा की गयी है, पर इसकी प्रमुख विशेषता है--इसमें चर्चित सभी विषयों के ऊहापोहों या मत-मतान्तरों के बीच समाधान के रूप में अनेकान्तवाद की प्रतिष्ठा करना.

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book