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हास्य-व्यंग्य >> एक अधूरी प्रेम कहानी का दुखान्त

एक अधूरी प्रेम कहानी का दुखान्त

कैलाश मंडलेकर

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10469
आईएसबीएन :9788126320615

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व्यंग्यकार अपने आसपास की घटनाओं पर पैनी निगाह रखता है

व्यंग्य का मूलतः विसंगति और विडम्बना के गहरे बोध से जन्म होता है. व्यंग्यकार अपने आसपास की घटनाओं पर पैनी निगाह रखता है और उनका सारांश मन में संचित करता रहता है. 'एक अधूरी प्रेम कहानी का दुखान्त' में कैलाश मंडलेकर के व्यंग्य आलेख किसी-न-किसी परिवेशगत विचित्रता को व्यक्त करते हैं. उनके व्यंग्य 'हिन्दी व्यंग्य परम्परा' से लाभ उठाते हुए अपनी ख़ासियत विकसित करते हैं. कुछ विषय इस क्षेत्र में सदाबहार माने जाते हैं जैसे -- साहित्य, राजनीति, ससुराल, प्रेम आदि. इन सदाबहार विषयों पर लिखते हुए कैलाश मंडलेकर अपने अनुभवों का छाँक भी लगाते हैं.

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