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तेरी ही बातें सुनाने आये

पद्‌मा सचदेव

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :108
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10461
आईएसबीएन :9788126319985

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डोगरी साहित्य जिन रचनाकारों पर गर्व कर सकता है, उनमें पद्मा सचदेव का नाम सर्वोपरि है.

डोगरी साहित्य जिन रचनाकारों पर गर्व कर सकता है, उनमें पद्मा सचदेव का नाम सर्वोपरि है. पद्मा सचदेव जीवन की व्यापकता को विविध विधाओं में सँजोती रही है. 'तेरी बातें ही सुनाने आये' उनकी डोगरी रुबाइयों का संग्रह है. इन डोगरी रुबाइयों का हिन्दी अनुवाद कवयित्री ने स्वयं किया है. रुबाई को डोगरी में 'चमुखा' कहते हैं. चार चरणों वाला यह काव्यरूप उर्दू और हिन्दी में भी पर्याप्त लोकप्रिय है. पद्मा सचदेव की इन रुबाइयों में 'मानव और मानवेतर' के सहमेल से अर्थ की विभिन्न छटाएँ जगमगाती हैं. लौकिकता और पारलौकिकता के संकेत भी देखे जा सकते हैं. पद्मा सचदेव की ये रुबाइयाँ मन के एकान्त को टटोलकर रची गयी हैं.

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