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उपन्यास >> जूनागढ्‌ की वैदेही

जूनागढ्‌ की वैदेही

सविता जैन

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :132
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10414
आईएसबीएन :8126312637

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जूनागढ़ की वैदेही' राजकुमारी राजुल शीतल के आत्म-विकास और आत्म-सिद्धि की कथा है.

जूनागढ़ की वैदेही' राजकुमारी राजुल शीतल के आत्म-विकास और आत्म-सिद्धि की कथा है. अध्यात्म, दर्शन एवं भावोन्मेष की मधुर-ललित त्रिवेणी को तत्सम प्रधान शब्दावली में लिपिबद्ध कर आधुनिक कथा-साहित्य को नूतन आयाम देने वाली एक अनुपम कलाकृति. राजुल की मूक व्यथा और विराट के साथ एकतान होने की उसकी आकुलता को मुखरित करने वाली इस रचना में मानव-जीवन सम्बन्धी अनेक मूलभूत प्रश्नों को उठाया गया है.

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